Move to Jagran APP

दिल्ली HC की अहम टिप्पणी: अगर महिला सियाचिन में तो पुरुष की सेना में नर्स के रूप में हो सकती है तैनाती

सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की वकालत करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जब एक महिला अधिकारी को सियाचिन में तैनात किया जा सकता है तो एक पुरुष को सेना में नर्स के रूप में भी नियुक्त किया जा सकता है। अदालत उक्त टिप्पणी सैन्य प्रतिष्ठानों में केवल महिला नर्सों को रखने की असंवैधानिक प्रथा के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 19 Sep 2023 09:31 PM (IST)
Hero Image
अगर महिला सियाचिन में तो पुरुष की सेना में नर्स के रूप में हो सकती है तैनाती
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की वकालत करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जब एक महिला अधिकारी को सियाचिन में तैनात किया जा सकता है तो एक पुरुष को सेना में नर्स के रूप में भी नियुक्त किया जा सकता है। अदालत उक्त टिप्पणी सैन्य प्रतिष्ठानों में केवल महिला नर्सों को रखने की असंवैधानिक प्रथा के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सेना में प्रथाएं लंबे समय से चली आ रही परंपराओं पर आधारित हैं। हालांकि, सरकार अभी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक कानून लेकर आई है।

क्या दिया जा रहा तर्क?

इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि संसद में केंद्र सरकार एक तरफ महिलाओं को सशक्त बनाने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ तर्क दिया जा रहा है कि पुरुष नर्स के रूप में शामिल नहीं हो सकते।

पीठ ने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय ने महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने की अनुमति दी है और उसने बार-बार माना है कि कोई लैंगिक पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए।

याचिकाकर्ता इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अमित जार्ज ने कहा कि शीर्ष अदालत ने भी कहा है कि सेवाओं से एक लिंग को बाहर करने की प्रथा का सैन्य पारिस्थितिकी तंत्र में भी कोई स्थान नहीं है।

ये भी पढ़ें- दिल्ली HC ने खारिज की जावेद की जमानत याचिका, IED विस्फोट करने की योजना बना रहा था आरोपित

अदालत ने बताया महत्वपूर्ण मुद्दा

अदालत ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है। अदालत ने मामले की सुनवाई नवंबर माह तक के लिए स्थगित कर दी। जनहित याचिका में सैन्य नर्सिंग सेवा अध्यादेश-1943 और सैन्य नर्सिंग सेवा (भारत) नियम-1944 के प्रविधानों को इस हद तक चुनौती दी गई है कि वे नर्स के रूप में केवल महिलाओं की नियुक्ति का प्रविधान करते हैं।

ये भी पढ़ें- Delhi High Court: DU में CLAT के आधार पर पांचवर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन पर HC की मुहर, कोर्ट ने दिया यह आदेश

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।