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शादी का वादा करके दुष्कर्म करने से जुड़े एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

शादी का वादा करके दुष्कर्म करने से जुड़े एक मामले की जांच के पहलू पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस का आगे की जांच का अधिकार केवल पुनः जांच या नई जांच शुरू करने तक ही सीमित नहीं है। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंहदीरत्ता की पीठ ने कहा कि आगे की जांच का उद्देश्य आरोपित के बचाव को साबित करना या स्थापित करना भी नहीं है।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 06 Feb 2024 08:23 PM (IST)
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शादी का वादा करके दुष्कर्म करने से जुड़े एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शादी का वादा करके दुष्कर्म करने से जुड़े एक मामले की जांच के पहलू पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस का आगे की जांच का अधिकार केवल ''पुनः जांच'' या ''नई जांच'' शुरू करने तक ही सीमित नहीं है। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंहदीरत्ता की पीठ ने कहा कि आगे की जांच का उद्देश्य आरोपित के बचाव को साबित करना या स्थापित करना भी नहीं है।

अदालत ने दुष्कर्म के एक मामले में आगे की जांच के लिए उसके आवेदन को खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

डेटिंग ऐप पर हुई थी मुलाकात

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दोनों की मुलाकात डेटिंग ऐप पर हुई थी और इसने शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाया था। अदालत ने कहा कि आगे की जांच की जानी चाहिए या नहीं यह संबंधित अदालत के विवेक पर निर्भर है।

अदालत ने कहा कि इससे पहले कि मुकदमा वास्तव में आरोप तय करके शुरू हो न्याय प्रदान करने के लिए निष्पक्ष सुनवाई अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि आगे की जांच का उद्देश्य सच्चाई का पता लगाना और पर्याप्त न्याय सुनिश्चित करने के लिए सुबूतों को रिकॉर्ड पर लाना है।

आगे की जांच करने का निर्देश देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपित द्वारा जबरन वसूली की कोई शिकायत नहीं की गई थी और मामले को साबित करने के लिए कोई आरोप नहीं था कि शिकायतकर्ता हनी ट्रैपिंग गिरोह की सदस्य थी।

वहीं, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी मुलाकात डेटिंग ऐप पर आरोपित से हुई थी। आरोपित ने शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाए और गर्भवती होने पर आरोपित ने उसका मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया था। इसके बाद आरोपित ने शिकायतकर्ता द्वारा हनी ट्रैपिंग और जबरन वसूली के बिंदु पर आगे की जांच करने के लिए एक आवेदन दायर किया था। उक्त आवेदन निचली अदालत ने खारिज कर दिया था।

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