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दिल्‍ली HC की टिप्‍पणी, माता-पिता भले एक-दूसरे से लड़ते हों, मां के प्‍यार से बच्‍चे को नहीं रख सकते दूर

माता-पिता के बीच कटु संबंध के कारण एक बच्चे की कस्टडी मां को देने से इनकार करने के निचली अदालत के निर्णय को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यख्या की है। न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि माता-पिता के बीच संबंध कटु हो गए हैं और इसके परिणामस्वरूप प्राथमिकी होने के साथ ही एक-दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 05 Sep 2023 08:53 PM (IST)
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एक मां और बच्चे के बीच दोबारा रिश्ता स्थापित होने से नहीं किया जा सकता इनकार: दिल्ली HC
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। माता-पिता के बीच कटु संबंध के कारण एक बच्चे की कस्टडी मां को देने से इनकार करने के निचली अदालत के निर्णय को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यख्या की है। न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि माता-पिता के बीच संबंध कटु हो गए हैं और इसके परिणामस्वरूप प्राथमिकी होने के साथ ही एक-दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

हालांकि, यह एक मां और उसके नाबालिग बच्चे के बीच संबंध को फिर से स्थापित करने के प्रयास से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है।

माता-पिता का प्यार प्राप्त करने में बच्चे का हित

दस साल के बच्चे की कस्टडी मां को देने से इनकार करने के पारिवारिक अदालत के आदेश को रद करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि बच्चे का हित माता-पिता दोनों से प्यार और स्नेह प्राप्त करने में निहित है, भले ही वे एक-दूसरे से लड़ रहे हों।

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में परिवार न्यायालय ने नाबालिग बच्चे की हिरासत के लिए याचिकाकर्ता के दावे को खारिज करने में जल्दबाजी की है। परिवार अदालत ने माता-पिता के बीच बंधन को फिर से स्थापित करने के साधनों और तरीकों की पड़ताल नहीं की।

परिवार न्यायालय को सुविधाप्रदाता के भी रूप में काम करना चाहिए

पीठ ने कहा कि परिवार न्यायालय को केवल एक न्यायिक मंच के रूप में कार्य न करके विवादों के निपटारे के लिए एक सुविधाप्रदाता के रूप में भी कार्य करना है। परिवार अदालत को सामान्य सिविल कार्यवाही में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण से अलग दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

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पीठ ने कहा कि पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मां की शिकायतों पर तीन प्राथमिकी हुई थीं। एक प्राथमिकी पति के परिवार की शिकायत पर पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ हुई थी। इसमें एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।

पीठ ने पारिवारिक अदालत से कहा कि वह अदालत से जुड़े काउंसलर के समक्ष मां और नाबालिग बच्चे से मुलाकात का अधिकार देकर उनके बीच एक बंधन स्थापित करने के का निर्देश दे।

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