लेखक सलमान रुश्दी की पैतृक संपत्ति का फिर होगा मूल्यांकन, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश
उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइन्स स्थित भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी की पैतृक संपत्ति के बाजार मूल्य का नए सिरे से मूल्यांकन करने का दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। एकल पीठ द्वारा वर्ष 2019 में किए गए मूल्यांकन के तहत संपत्ति का मूल्य 130 करोड़ था। 5373 वर्ग गज की यह संपत्ति सिविल लाइंस फ्लैगस्टाफ रोड स्थित-बंगला नंबर-चार है।
By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 06 Dec 2023 07:19 PM (IST)
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइन्स स्थित भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी की पैतृक संपत्ति के बाजार मूल्य का नए सिरे से मूल्यांकन करने का दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। वर्ष 2019 में एकल पीठ के आदेश को रद करते हुए न्यायमूर्ति विभू बाखरू व न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार संपत्ति का मूल्य नए सिरे से निर्धारित करने के लिए मामले को एकल न्यायाधीश के पास वापस भेज दिया।
एकल पीठ द्वारा वर्ष 2019 में किए गए मूल्यांकन के तहत संपत्ति का मूल्य 130 करोड़ था। 5373 वर्ग गज की यह संपत्ति सिविल लाइंस फ्लैगस्टाफ रोड स्थित-बंगला नंबर-चार है।अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि मामले को 11 दिसंबर को संबंधित एकल न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए। अदालत ने निर्देश दिया कि वर्ष 2012 से 2019 तक अचल संपत्तियों की कीमतों में गिरावट के संबंध में रिकार्ड पर कोई सुबूत नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वादी द्वारा निर्धारित मूल्य का भुगतान करने में विफलता पर मुकदमे की संपत्ति की बिक्री के लिए एकल न्यायाधीश द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।
यह है मामला
अपील याचिका के अनुसार रुश्दी के पिता अनीस अहमद रुश्दी ने 1970 में पूर्व कांग्रेस नेता भीकू राम जैन के परिवार को 3.75 लाख रुपये में संपत्ति बेचने का समझौता किया था। इसके बाद जैन और उनके दो बेटों ने बेचने के समझौते के निष्पादन के लिए एक मुकदमा दायर किया। इस पर वर्ष 1983 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया था।हालांकि, हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने वर्ष 2011 में उक्त फैसले को रद करते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ दाखिल अपील याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्यीय पीठ के आदेश को रद करते हुए निर्देश दिया था कि जैन भाइयों के पक्ष में निष्पादित किए जाने वाला बिक्री विलेख तीन फरवरी 2012 को संपत्ति के बाजार मूल्य पर होगी।
शीर्ष अदालत के आदेश पर एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर 2012 को संपत्ति का मूल्य 130 करोड़ लगाया था। हालांकि, यह भी निर्देश दिया गया था कि जैनियों द्वारा राशि का भुगतान करने में विफल रहने पर रुश्दी निर्धारित अवधि के भीतर उक्त कीमत पर संपत्ति बेच देंगे।यह भी आदेश दिया गया था कि यदि रुश्दी 60 दिनों के भीतर संबंधित कीमत पर संपत्ति बेचने में विफल रहते हैं तो जैन 75 करोड़ रुपये में संपत्ति खरीदने के हकदार होंगे। इस निर्णय के विरुद्ध जैन भाईयों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। उक्त अपील पर अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2012 के निर्णय के तहत संपत्ति का दोबारा से मूल्यांकन करने का निर्देश दिया।
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