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36 घंटे में हटाए टिप्पणियां, दिल्ली हाईकोर्ट ने विकिपीडिया को दिया सख्त आदेश, ये है पूरा मामला

विकिपीडिया को दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि समाचार एजेंसी एएनआई की अवमानना याचिका से जुड़े मामले पर एकल पीठ व दो सदस्यीय पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों को अपने पेज से 36 घंटे के अंदर हटाए। अदालत ने कहा कि विकिपीडिया की प्रणाली किसी को बदनाम करने का मुखौटा नहीं हो सकती। अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

By Vineet Tripathi Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 16 Oct 2024 05:31 PM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया को निर्देश दिया है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi High Court दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया को निर्देश दिया कि समाचार एजेंसी एएनआई की अवमानना याचिका से जुड़े मामले पर एकल पीठ व दो सदस्यीय पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों को अपने पृष्ठ से 36 घंटे के अंदर हटाए।

हाई कोर्ट ने उक्त आदेश एएनआई की अवमानना याचिका पर एकल पीठ निर्देश के विरुद्ध विकिपीडिया की अपील याचिका पर दिया। सोमवार को अदालत ने एकल पीठ द्वारा लंबित मामले पर सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणी को अपने पृष्ठ पर पोस्ट करने पर नाराजगी व्यक्त की थी। मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

इस मामले की मुख्य बातें-

  • अदालत ने एकल पीठ द्वारा लंबित मामले पर सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणी को अपने पृष्ठ पर पोस्ट करने पर नाराजगी व्यक्त की थी।
  • विकिपीडिया को निर्देश दिया कि समाचार एजेंसी एएनआई की अवमानना याचिका से जुड़े मामले पर एकल पीठ व दो सदस्यीय पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों को अपने पृष्ठ से 36 घंटे के अंदर हटाए।
  • अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

टिप्पणियां पेज से हटाने का दिया आदेश

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने विकिपीडिया की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा था कि आपको यह पृष्ठ (एएनआई बनाम विकिपीडिया शीर्षक) पेज को हटाना होगा।

पीठ ने कहा था कि एकल न्यायाधीश को डराया या धमकाया नहीं जा सकता। समाचार एजेंसी के विकिपीडिया पृष्ट पर मानहानिकारक संपादन करने वाले उपयोगकर्ताओं की जानकारी के प्रकटीकरण का विरोध करने पर अदालत ने सवाल उठाया। अदालत ने टिप्पणी की कि विकिपीडिया की प्रणाली किसी को बदनाम करने का मुखौटा नहीं हो सकती।

हम ऐसे देश में रहते हैं जो कानून द्वारा शासित होता है

एकल पीठ ने एएनआई विकिपीडिया पृष्ठ को संपादित करने वाले तीन व्यक्तियों के विवरण की जानकारी देने का निर्देश दिया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि भारत सरकार को देश में विकिपीडिया को बंद करने का आदेश देंगे। विकिपीडिया की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अखिल सिब्बल को तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश देते हुए कहा था कि आप दुनिया की शक्तिशाली इकाई हो सकते हैं, लेकिन हम ऐसे देश में रहते हैं जो कानून द्वारा शासित होता है और हमें इस पर गर्व है।

यह घटनाक्रम तब हुआ जब एएनआई की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कोर्ट को विकिपीडिया पेज और 12 जुलाई को एक समाचार पत्र को लंबित मानहानि मामले के बारे में दिए गए एक प्रेस बयान के बारे में सूचित किया था।

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वहीं, अखिल सिब्बल ने कहा था कि यदि आवश्यक हुआ तो सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे और मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगा। पूरा मामला समाचार एजेंसी एएनआई से जुड़ा है। एजेंसी ने दावा किया कि उसके प्लेटफार्म के विकिपीडिया पृष्ठ पर अपमानजनक संपादन करने वाले उपयोगकर्ताओं के बारे में जानकारी का रहस्योद्घाटन करने के अदालत के आदेशों का विकिपीडिया पालन नहीं कर रहा है।

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वहीं, मानहानि मुकदमे में एजेंसी ने कहा है कि विकिपीडिया ने अपने पेज पर मानहानिकारक संपादन की अनुमति दी है, इसमें उसे वर्तमान सरकार के लिए प्रचार उपकरण के रूप में संदर्भित किया गया है।

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