Delhi HC: मास्टर प्लान के मानक को पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर होंगे बंद, चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट करनी होगी पेश
कोचिंग सेंटर को लेकर Delhi High Court ने स्पष्ट कहा कि छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा साफ कर दिया है कि Delhi Master Plan-2021 के वैधानिक जरूरतों को पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर को बंद करना होगा। अदालत ने कहा कि अधिकारियों को देखना है कि कोचिंग केंद्र मानदंडों के अनुरूप हैं या नहीं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi News: मुखर्जी नगर में चलने वाले कोचिंग सेंटर को लेकर Delhi High Court ने स्पष्ट कहा कि छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा साफ कर दिया है कि Delhi Master Plan-2021 के वैधानिक जरूरतों को पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर को बंद करना होगा।
कोचिंग सेंटरों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता द्वारा मास्टर प्लान के मानदंडों का अनुपालन करने का दावा करने पर अदालत ने कहा कि अधिकारियों को देखना है कि कोचिंग केंद्र मानदंडों के अनुरूप हैं या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने सुनवाई के दौरान मुखर्जी नगर के निवासियों और कोचिंग फेडरेशन आफ इंडिया द्वारा दायर दो अलग-अलग पक्षकार आवेदनों को भी अनुमति दी।
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अदालत ने चार सप्ताह का दिया समय
सुनवाई के दौरान एमसीडी ने 79 संपत्तियों को सील करने व 295 संपत्तियों को नोटिस भेजे जाने की बात की। अदालत ने एमसीडी, दिल्ली सरकार और मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ को चार सप्ताह के भीतर मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा। मामले में अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।
अदालत ने उक्त निर्देश मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटरों के संचालन से संबंधित याचिकाकर्ता कंचन गुप्ता समेत अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। इसके अलावा अदालत ने जून माह में कोचिंग सेंटर में लगी आग की घटना का स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू की थी। इसके अलावा कोचिंग सेंटरों ने 25 जुलाई को अदालत द्वारा दिए गए आदेश की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की गई है।
अदालत ने 25 जुलाई को निर्देश दिया था कि अग्निशमन सेवा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना चल रहे सभी कोचिंग सेंटरों को बंद करें। कोचिंग सेंटर की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है लेकिन अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।
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