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दिल्ली हाई कोर्ट ने दी दुष्कर्म पीड़िता को 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति

न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों को 16 वर्षीय किशोरी के गर्भ को 24 घंटे के अंदर गिराने का आदेश दिया।

By Neel RajputEdited By: Updated: Fri, 07 Feb 2020 08:43 AM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने दी दुष्कर्म पीड़िता को 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर दुष्कर्म पीड़िता के 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी। मेडिकल बोर्ड ने न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि गर्भ को आगे धारण रखने की स्थिति में किशोरी की जान को खतरा है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों को 16 वर्षीय किशोरी के गर्भ को 24 घंटे के अंदर गिराने का आदेश दिया।

आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों ने पीठ को सर्जरी प्रक्रिया के साथ ही पीड़िता की स्थिति की जानकारी दी और कहा कि यह प्रक्रिया 24 सप्ताह के अंदर ही पूरी की जा सकती है। पीठ ने फैसला सुनाने से पहले पीड़िता व उसके परिजनों से चेंबर में बातचीत की। इसके बाद पीठ ने बोर्ड के सुझाव को रिकॉर्ड पर लेते हुए गर्भ गिराने की प्रक्रिया तेजी से पूरी करने के साथ ही डीएनए को सुबूत के तौर संरक्षित रखने का निर्देश दिया।

पीठ ने उक्त आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। अधिवक्ता अन्वेश मधुकर व अधिवक्ता प्राची के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि नियमों के मुताबिक 20 सप्ताह से ज्यादा समय होने पर गर्भपात की मंजूरी नहीं दी जाती, लेकिन पीड़िता की उम्र काफी कम है और उसकी जान को खतरा हो सकता है। पीड़िता की जांच सरकारी अस्पताल में विगत 25 जनवरी को हुई और तभी पता चल सका कि वह 24 सप्ताह की गर्भवती है। इस संबंध में पुलिस केस भी दर्ज हुआ है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि अदालत की मंजूरी के बगैर गर्भपात नहीं कर सकते।

हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में बताया गया था कि पिछले सप्ताह ही केंद्रीय मंत्रीमंडल ने इस नियम को मंजूरी दी है कि नाबालिग, दिव्यांग या दुष्कर्म पीड़िता जैसे विशेष मामलों में 24 सप्ताह में भी गर्भपात किया जा सकता है। याचिका पर पीठ ने 4 फरवरी को मेडिकल बोर्ड गठित कर बृहस्पतिवार तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा था कि परीक्षण में देखा जाए कि गर्भ को रखने से क्या किशोरी के जीवन को कोई खतरा है या नहीं।

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