अतिथि शिक्षकों के मामले में सिसोदिया को HC की फटकार, पूछा- नियमों की अनदेखी क्यों
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि नियमों के मुताबिक भर्ती परीक्षा के तहत ही शिक्षकों की नियुक्ति हो सकती है तो फिर इसके बगैर अतिथि शिक्षकों को नियमित कैसे किया जा सकता है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सरकारी स्कूलों के करीब 15 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने पर जोर देने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथ लिया। हाई कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में कोर्ट पहुंचे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भी खिंचाई की। जस्टिस सिदार्थ मृदुल और दीप शर्मा की पीठ ने कहा कि सरकार नियमों की अनदेखी कर अतिथि शिक्षकों को नियमित क्यों करना चाहती है।
अतिथि शिक्षकों को नियमित कैसे किया जा सकता है
पीठ ने कहा कि यदि आतिथि शिक्षक योग्य हैं तो वो भर्ती परीक्षा बैठें और वहां से उत्तीर्ण होने के बाद उनका चयन खुद ब खुद हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मसले पर उपराज्यपाल से बात कर समस्या का समाधान क्यों नहीं निकालती। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि नियमों के मुताबिक भर्ती परीक्षा के तहत ही शिक्षकों की नियुक्ति हो सकती है तो फिर इसके बगैर अतिथि शिक्षकों को नियमित कैसे किया जा सकता है?
अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार नहीं कर सकते
सुनवाई के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना चाहती है और इस दिशा में काफी कम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह काम अतिथि शिक्षकों को नियमित किए बगैर नहीं हो सकता। उन्होंने इसके लिए अतिथि शिक्षकों के अनुभव को प्रमुख कारण बताया। इस पर हाई कोर्ट ने उनसे जानना चाहा कि अतिथि शिक्षकों से सरकार को इतना लगाव क्यों है? इसके जवाब में सिसोदिया ने कहा कि हम 15 हजार अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार नहीं कर सकते।
सिसोदिया की दलीलों का विरोध
इस मामले में अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने सिसोदिया की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने सरकार द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया है। अग्रवाल ने सिसोदिया की अपील को खारिज करने की मांग की।
उपराज्यपाल ने मंजूरी देने से इन्कार किया
बता दें कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी अपील में एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है जिसमें 9232 नियमित शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। सिसोदिया ने अतिथि शिक्षक को नियमित करने की अनुमति मांगी है। शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट को बताया है कि केजरीवाल सरकार द्वारा अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए विधानसभा में पारित विधेयक को उपराज्यपाल ने मंजूरी देने से इन्कार कर दिया है।
एलजी बैजल से मिले भाजपा नेता
गौरतलब है कि इसी माह 5 जनवरी को भाजपा विधायकों ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर उनसे नगर निकाय और दिल्ली सरकार के स्कूलों में नियमित नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले अतिथि शिक्षकों की आयु सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था।
एलजी को सौपा ज्ञापन
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बैजल को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। गुप्ता ने कहा कि उपराज्यपाल ने विधायकों की मांग पर 'सैद्धांतिक रूप से सहमति' जताई। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि दिल्ली के नगर निगम और सरकारी स्कूलों में कई साल से बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। ये शिक्षक अन्य योग्यताओं को पूरा कर रहे हैं लेकिन उम्र अधिक होने के कारण वे स्थायी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाते हैं।
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