अगर पत्नी की है एक समान कमाई तो पति नहीं दे सकता भरण-पोषण- दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि अगर पति और पत्नी समान योग्यता रखते हों और समान रूप से कमा रहे हों तो हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 24 के तहत पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने इस तथ्य पर जोर दिया कि धारा 24 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है।
By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 17 Oct 2023 08:13 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि अगर पति और पत्नी समान योग्यता रखते हों और समान रूप से कमा रहे हों तो हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 24 के तहत पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने इस तथ्य पर जोर दिया कि धारा 24 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पति-पत्नी में से किसी को भी वित्तीय बाधाओं परेशानी का सामना न करना पड़े। हालांकि, जब दोनों समान रूप से कमा रहे हों तो भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता है।
अदालत ने उक्त टिप्पणी पारिवारिक न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पति और उसकी पत्नी की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। पारिवारिक अदालत ने पति को बच्चे के भरण-पोषण के लिए प्रति माह 40 हजार रुपये प्रदान करने का निर्देश दिया था, लेकिन भरण-पोषण के लिए पत्नी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
भरण-पोषण की मांगी थी इतनी राशि
वर्ष 2014 में दोनों ने शादी की थी और वर्ष 2016 में उन्हें एक बेटा हुआ था। दोनों वर्ष 2020 में अलग हो गए थे। एक तरफ जहां पति ने बच्चे के लिए देय भरण-पोषण की धनराशि कम करने की मांग की है। वहीं, पत्नी ने अपने भरण-पोषण के लिए दो लाख के भरण-पोषण और बच्चे के भरण-पोषण की राशि 40 हजार से बढ़ाकर 60 हजार करने का अनुरोध किया।दोनों की एक समान कमाई
हालांकि, अदालत ने पाया कि पत्नी और पति दोनों उच्च योग्यता रखते हैं और पत्नी 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन पाती है, जबकि पति की कमाई भी पत्नी की आय के समान ही है। अदालत ने कहा कि पति भले ही डॉलर में कमाता है, लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसका खर्च भी डॉलर में होता है।ये भी पढ़ें- Delhi Excise Policy Case: हाईकोर्ट में बोले संजय सिंह- मनी लॉन्ड्रिंग कानून उत्पीड़न का साधन नहीं बन सकता
ऐसे में पत्नी और पति दोनों की आय को ध्यान में रखते हुए और बच्चे के भरण-पोषण की संयुक्त जिम्मेदारी को मान्यता देते हुए अदालत ने बच्चे के लिए पति द्वारा देय अंतरिम भरण-पोषण को 40 हजार से घटाकर 25 हजार कर दिया।
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