यूएपीए मामले में PFI अध्यक्ष सलाम को अंतरिम जमानत देने से इनकार, अदालत ने क्या कहा?
Delhi High Court ने यूएपीए मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई PFI) अध्यक्ष को अंतरिम जमानत से इनकार कर दिया है। सलाम ने बेटी की मौत के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीएफआई अध्यक्ष ओ. एम. ए सलाम ने अपनी बेटी की मौत के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित अपनी पत्नी से मिलने के लिए जमानत मांगी थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष को अंतरिम जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने इसके साथ ही अंतरिम जमानत देने से इनकार करने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली पीएफआई अध्यक्ष ओ. एम. ए सलाम की याचिका काे खारिज कर दिया। सलाम ने अपनी बेटी की मौत के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित अपनी पत्नी से मिलने के लिए जमानत मांगी थी।
अदालत ने कहा कि पीएफआई के खिलाफ आरोप यह है कि एक संगठन के रूप में इसका मुख्य उद्देश्य भारत में शरिया/इस्लामी कानून स्थापित करना है। इतना ही नहीं पीएफआई आतंकवादी शिविर आयोजित करने, मुस्लिम युवाओं को हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी बनाने और अपने सदस्यों को आईएस में शामिल होने के लिए उकसाने की गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।
अदालत ने इसे अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता सलाम पीएफआई का एक अहम पदाधिकारी है और वह संगठन में प्रभावशाली प्रभाव रखता है। सलाम को एनआईए ने यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत आतंकवादी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया था और गिरफ्तारी के एक दिन बाद पीएफआई द्वारा केरल में अचानक हड़ताल बुलाई गई। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने इसे अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
वहीं, 27 सितंबर 2022 को भारत सरकार ने पीएफआई को यूएपीए के तहत पांच साल की अवधि के लिए एक गैरकानूनी संघ घोषित किया। सलाम ने याचिका दायर कर कहा था कि बेटी की मृत्यु के कारण उनकी पत्नी मानसिक अवसाद से ग्रस्त है।
हालांकि, पीठ ने कहा कि अदालत मानवीय आधार पर अपीलकर्ता द्वारा बताए कारणों व जनता के सामान्य वर्गों को नुकसान होने की गंभीर संभावना पर विचार करना होगा। ऐसे में इस अदालत ने पीएफआई द्वारा की गई गतिविधियों के आधार पर वर्तमान जमानत याचिका पर विचार किया।
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