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2013 से ही बिस्तर पर पड़ा है शख्स, ठीक होने की संभावना नहीं; इच्छामृत्यु मामले में राहत देने से हाईकोर्ट का इनकार

युवक ने इच्छामृत्यु के लिए उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका के अनुसार युवक पंजाब विश्वविद्यालय का छात्र था और वर्ष 2013 में अपने पेइंग गेस्ट हाउस की चौथी मंजिल से गिर गया था इससे उसके सिर में चोट लगी थी। वह 2013 से बिस्तर पर ही है।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 08 Jul 2024 08:53 PM (IST)
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इच्छामृत्यु की अनुमति के मामले को मेडिकल बोर्ड को भेजने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। इच्छामृत्यु की अनुमति के मामले को मेडिकल बोर्ड को भेजने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर पेश तथ्यों से स्पष्ट है कि याची बिना किसी अतिरिक्त बाहरी सहायता के जीवित रखने में सक्षम है और असाध्य रूप से बीमार नहीं है। ऐसे में यह अदालत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सक्रिय इच्छामृत्यु कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।

पीठ ने कहा कि मेडिकल बोर्ड के पास भेजने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने की अदालत इच्छुक नहीं है। युवक ने यह निर्देश देने की मांग की थी कि निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देने के संबंध में विचार के लिए उसके मामले को मेडिकल बोर्ड के पास भेजा जाए। हालांकि, राहत देने से इनकार करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी। युवक को वर्ष 2013 में सिर में चोट लगी थी। निष्क्रिय इच्छामृत्यु से तात्पर्य वेंटिलेटर या फीडिंग ट्यूब जैसे कृत्रिम जीवन समर्थन को रोककर जानबूझकर एक मरीज को मरने देना है।

मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश देने की मांग 

युवक ने इच्छामृत्यु के लिए उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका के अनुसार युवक पंजाब विश्वविद्यालय का छात्र था और वर्ष 2013 में अपने पेइंग गेस्ट हाउस की चौथी मंजिल से गिर गया था, इससे उसके सिर में चोट लगी थी। याची के स्वजन ने उसके इलाज की पूरी कोशिश की, लेकिन 100 प्रतिशत दिव्यांगता के साथ फैली चोट के कारण वह 2013 से बिस्तर पर ही है।

युवक के ठीक होने की कोई संभावना नहीं

याची ने दावा किया विभिन्न डॉक्टरों ने परामर्श दिया है कि उसके ठीक होने की कोई गुंजाइश नहीं है। याचिका में कहा गया कि लंबे समय से बिस्तर रहने से गहरे और बड़े घाव हो गए हैं, जिससे और संक्रमण हो गया है। याची ने कहा कि उसके माता-पिता उसकी देखभाल करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि वे बूढ़े हो रहे हैं और उसके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है।

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