Rau IAS Coaching Centre Incident: दिल्ली पुलिस के आखिरी अनुरोध को ठुकराया, जांच पर उठाए सवाल; HC ने CBI को सौंपी जांच
Delhi High Court ने Rau Coaching Centre Incident मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआई को जांच सौंप दी है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की पूरी व्यवस्था पर विचार करने की जरूरत है। साथ ही अदालत ने कहा कि दिल्ली के प्रशासनिक वित्तीय और भौतिक बुनियादी ढांचे पर दोबारा गौर करने का समय आ गया है। पढ़िए कोर्ट ने और क्या-क्या कहा है?
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट Delhi High Court ने ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसे Rau Coaching Centre Incident में दिल्ली पुलिस पर गंभीर सवाल उठाते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जांच के लिए आखिरी मौका देने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध को ठुकराते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता को जांच के संबंध में कोई संदेह न रहे, इसलिए मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाती है।
इसके साथ ही दिल्ली के समूचे गवर्नेंस को लेकर गृह मंत्रालय को आदेश देने का संकेत देते हुए अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार में भी नई परियोजना को मंजूरी दिलाना आसान नहीं है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में कोई कैबिनेट बैठक नहीं हुई है और यह भी निश्चित नहीं है कि अगली कैबिनेट बैठक कब होगी।अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक बुनियादी ढांचे पर दोबारा गौर किया जाए। मुख्य पीठ ने कहा कि इस अदालत का मानना है कि दिल्ली के संबंध में बड़ी तस्वीर को देखने की जरूरत है। क्योंकि दिल्ली शहर में कहीं अधिक मूलभूत समस्याएं है और भौतिक, वित्तीय और प्रशासनिक बुनियादी ढांचा सभी पुराने हो चुके हैं और वर्तमान दिल्ली की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं। तीन करोड़ से अधिक की आबादी के साथ दिल्ली को और अधिक आधुनिक भौतिक और प्रशासनिक ढांचे के साथ ही आधारभूत संरचना की आवश्यकता है।
दिल्ली के गवर्नेंस को लेकर गृह मंत्रालय को आदेश देने के अदालत के रुख का दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने विरोध करते हुए कहा कि इससे और समस्याएं पैदा होंगी। इस पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि यदि आप मुफ्त संस्कृति पर जा रहे हैं तो आप नहीं जान पाएंगे कि संरचना को कैसे बदला जाए। जीएसटी में एक बदलाव से राजस्व बढ़ रहा है। आपको लीक से हटकर सोचना होगा, यदि आपको दिल्ली जैसी जगह में राजस्व नहीं मिलेगा, तो आपको यह कहीं और नहीं मिलेगा।
पुलिस की ‘लगन से जांच’ पर उठाया सवाल
ओल्ड राजेंद्र नगर घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर कुटुंब नामक ट्रस्ट की जनहित याचिका पर करीब ढाई घंटे चली सुनवाई में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए तल्ख टिप्पणियां भी कीं।अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल संजय जैन ने बताया कि पुलिस लगन से जांच कर रही है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मौजूद डीसीपी से अदालत द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में यह स्वीकार किया है कि एमसीडी की फाइल आज तक जब्त नहीं की गई है। यह भी स्वीकार किया कि अब तक एमसीडी के किसी भी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से पूछताछ नहीं की गई है।
वहीं, अग्निशमन सेवा के वकील का कहना है कि कोचिंग सेंटर राव आइएएस स्टडी सर्किल में एक जुलाई को किया गया निरीक्षण किसी शिकायत के आधार पर नहीं बल्कि इस तथ्य के आधार पर किया गया था कि इमारत के मालिक ने अग्नि संबंधी एनओसी की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।यह भी पढ़ें- दिल्ली निगम आयुक्त को खरी-खरी, बताएं कब होगी अगली कैबिनेट बैठक; HC ने कहा- MCD के विभागों में नहीं होता अदालत का सम्मान
पीठ ने कहा कि अदालत में मौजूद एमसीडी आयुक्त ने स्वीकार किया है कि क्षेत्र में और आस-पास बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था खराब थी। यह भी स्वीकार किया कि निवासियों और दुकानदारों ने बड़ी संख्या में स्थानों पर बरसाती पानी के नाले पर अतिक्रमण कर लिया गया है। इसे हटाने व जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है। हाल की त्रासदियों से पता चला है कि नागरिक एजेंसियों द्वारा अदालत के निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं किया जाता है। दिल्ली में कई एजेंसियां होने के कारण एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप किया जाता है।
अदालत ने कहा कि विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के कारण दूसरे राज्यों से दिल्ली को पलायन बढ़ने के साथ ही आबादी भी बढ़ रही है। एमसीडी जैसी नागरिक एजेंसियों की वित्तीय हालत अगर अनिश्चित नहीं, तो ठीक भी नहीं है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में नालों जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण लगभग 75 साल पहले किया गया था। भौतिक बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है और उसका रख-रखाव खराब है।
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