CBSE की वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद नहीं की जा सकती नंबरों में सुधार की मांग, दिल्ली हाईकोर्ट खारिज की याचिका
छात्र के आतंरिक मूल्यांकन अंक से जुड़े एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने टिप्पणी की कि एक बार जब कोई स्कूल किसी छात्र के आंतरिक मूल्यांकन अंक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई CBSE) की वेबसाइट पर अपलोड कर देता है तो वह अंक अपलोड करते समय कोई त्रुटि होने पर भी कोई सुधार नहीं मांग सकता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। छात्र के आतंरिक मूल्यांकन अंक से जुड़े एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि एक बार जब कोई स्कूल किसी छात्र के आंतरिक मूल्यांकन अंक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की वेबसाइट पर अपलोड कर देता है, तो वह अंक अपलोड करते समय कोई त्रुटि होने पर भी कोई सुधार नहीं मांग सकता है।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि अगर स्कूलों को सीबीएसई की वेबसाइट पर छात्रों के अंक अपलोड करते समय त्रुटियां करने की अनुमति दी जाती है और इसके बाद बोर्ड को अपने स्तर पर दिए गए अंकों को सही करने के लिए कहा जाता है तो इससे अराजकता होगी।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने क्या कहा?
अंक में सुधार की मांग से जुड़ी पिता की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि सीबीएसई भी इस तरह के अनुरोधों को आंख मूंदकर स्वीकार करने की स्थिति में नहीं होगा। यदि इस प्रथा की अनुमति दी जाती है तो उम्मीदवार को दिए गए वास्तविक अंकों का पता लगाने के लिए ऐसे प्रत्येक मामले में स्वतंत्र सत्यापन करना होगा।दसवीं कक्षा के एक विषय में अंक बढ़ाने से किया इनकार
उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 में दसवीं कक्षा के सामाजिक अध्ययन विषय में अपनी बेटी के आंतरिक मूल्यांकन अंकों को 18 से 20 अंकों तक सही करने के लिए सीबीएसई को निर्देश देने की मांग करने वाले एक पिता की याचिका को खारिज कर दिया।
जुलाई 2020 में स्कूल ने सीबीएसई को एक पत्र लिखकर कहा था कि याचिकाकर्ता की बेटी सहित सात छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन अंक गलती से 20 में से 20 के बजाय 18 अंक अपलोड कर दिए थे। साथ ही स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई से इसे अपने स्तर पर आवश्यक सुधार करने का अनुरोध किया था।
हालांकि, सीबीएसई ने कहा था कि उसके द्वारा जारी परिपत्रों के मद्देनजर सात उम्मीदवारों के आंतरिक मूल्यांकन अंकों को बदलने के अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं है। यह भी कहा था कि अंक अपलोड करते समय स्कूल यह सुनिश्चित करेंगे कि सही अंक अपलोड किए जाएं। अंक अपलोड होने के बाद अंकों में सुधार की अनुमति दी जाएगी।
सीबीएसई का बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने कहा कि सीबीएसई परिपत्रों में प्रदान किए गए अंकों को संशोधित करने का निषेध स्पष्ट रूप से सार्वजनिक हित में है। यह मामला उन दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक है जिसमें अदालत को दिल से नहीं बल्कि दिमाग से फैसला करना होगा।
अदालत ने कहा वह याचिकाकर्ता के प्रति सहानुभूति रखती है और इस मामले में सहायता नहीं कर पाने की असमर्थता के लिए खेद व्यक्त करती है। अदालत ने कहा कि क्योंकि सीबीएसई द्वारा जारी परिपत्रों को चुनौती नहीं दी गई थी और बोर्ड का निर्णय उनके अनुरूप था इसलिए याचिका पर विचार करने का आधार नहीं है।
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