दिल्ली हाईकोर्ट ने 'आशिकी' करने से रोका, मुकेश भट्ट के पक्ष में सुनाया फैसला; जानिए पूरा केस
Delhi High Court दिल्ली हाईकोर्ट ने आशिकी टाइटल का प्रयोग करने से रोक लगा दी है। यह फैसला मुकेश भट्ट की याचिका के बाद आया है। टी-सीरीज ने हाल ही में आशिकी तू ही आशिकी या तू ही आशिकी है शीर्षक नाम से फिल्म की घोषणा की थी। इसके बाद मुकेश भट्ट की कंपनी विशेष फिल्म्स कोर्ट पहुंची थी।
एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने टी-सीरीज को 'आशिकी', 'तू ही आशिकी या 'तू ही आशिकी है' टाइटल (शीर्षक) का प्रयोग करने पर रोक लगा दी है। यह फैसला फिल्म मेकर महेश भट्ट के पक्ष में आया है। उन्होंने इन शीर्षकों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है। यह फैसला 'आशिकी' ब्रांड के प्रयोग से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों पर विवादों के बीच आया है।
न्यायाधीश संजीव नरूला ने सोमवार को अंतरिम निषेधाज्ञा पारित करते हुए कहा कि 'आशिकी' टाइटल सिर्फ एक बार प्रयोग नहीं हुआ है, बल्कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित फिल्म सीरीज है। 1990 और 2013 में बनाई गई इन फिल्मों को बहुत सफलता मिली थी।
कैसे पैदा हुआ विवाद
मुकेश भट्ट की कंपनी विशेष फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाल ही में टी-सीरीज सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोनों कंपनियों ने 'आशकी' सीरीज पर तीसरी फिल्म बनाने की योजना बनाई थी।विवाद तब पैदा हुआ जब टी-सीरीज ने अलग से "तू ही आशिकी" या "तू ही आशिकी है" नाम के टाइटल से एक फिल्म की घोषणा कर दी। इस पर महेश भट्ट ने आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि यह टाइटल भ्रामक हो सकता है। महेश भट्टी और टी-सीरीज ने पहले मिलकर आशिकी फिल्में (1990, 2013) बनाई थी।
टी-सीरीज का तर्क
टी-सीरीज ने तर्क दिया कि, "आशिकी" फ्रैंचाइज के संयुक्त स्वामित्व को स्वीकार करती है। लेकिन आशिकी की नई फिल्म (किस्त) बनाने की किसी योजना पर इनकार करती है। टी-सीरीज ने कहा कि उनके प्रस्तावित टाइटल "तू ही आशिकी" और "तू ही आशिकी है" महेश भट्ट के ट्रेडमार्क से अलग हैं और यह पुरानी फिल्मों का सीक्वल नहीं है। आगे कहा कि उनकी फिल्म "आशिकी" फ्रैंचाइज से पूरी तरह अलग होगी, जिसका पिछली फिल्मों से कोई संबंध नहीं होगा।ये भी पढ़ें- Delhi AIIMS निदेशक को हॉस्पिटलों के रिफॉर्म की मिली जिम्मेदारी, अस्पतालों में सबकुछ ठीक नहीं-HC ने की टिप्पणी
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