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Delhi News: निजी स्कूलों में EWS कोटे के तहत प्रवेश के लिए आधार अनिवार्य नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत दिल्ली के निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवदेन प्रक्रिया में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। पीठ द्वारा 27 जुलाई को पारित आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील याचिका को खारिज दिया। एकल पीठ ने 12 जुलाई 2022 और 02 फरवरी 2023 को को जारी दिल्ली सरकार के परिपत्रों को लागू करने पर रोक लगा दी थी।

By Vineet TripathiEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Thu, 21 Sep 2023 05:37 PM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- निजी स्कूलों में EWS कोटे के तहत प्रवेश के लिए आधार अनिवार्य नहीं

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत राष्ट्रीय राजधानी के एक निजी स्कूल में प्रवेश के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया में आधार कार्ड की अनिवार्यता बच्चे की निजिता के अधिकार का संभावित उल्लंघन है। इससे जुड़े दिल्ली सरकार के दो परिपत्रों पर रोक लगाने के एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा कि एक बच्चे के संवेदनशील व्यक्तिगत विवरण प्राप्त करने से उसके निजिता के अधिकार के उल्लंघन की संभावना होगी।

शीर्ष अदालत के निर्णय का दिया हवाला

अदालत ने इसके लिए के.एस. पुट्टास्वामी के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला दिया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि ऐसे में यह कहना पर्याप्त होगा कि दिल्ली सरकार का परिपत्र प्रथम दृष्टया संवैधानिक प्रविधानों के विपरीत हैं। साथ ही न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ द्वारा 27 जुलाई को पारित आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील याचिका को खारिज दिया।

दिल्ली सरकार ने दिया था यह आदेश

एकल पीठ ने 12 जुलाई 2022 और 02 फरवरी 2023 को को जारी दिल्ली सरकार के परिपत्रों को लागू करने पर रोक लगा दी थी। दिल्ली सरकार ने उक्त आदेश में कहा था कि वर्ष 2023-24 के आगामी सत्र से दिल्ली के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में ईडब्ल्यूएस/डीजी के लिए ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के लिए आधार अनिवार्य होगा।

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बाद की अधिसूचना में कहा गया कि ईडब्ल्यूएस/डीजी/सीडब्ल्यूएसएन आवेदन की नकल से बचने के लिए बच्चे का आधार अनिवार्य है। उक्त परिपत्र को चुनौती देते हुए एक बच्चे के पिता ने आरोप लगाया था कि उसका पांच वर्षीय बच्चा प्रवेश कक्षा स्तर पर ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में भाग ले पा रहा है क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है।

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वहीं, दिल्ली सरकार का तर्क था कि बच्चे के आधार नंबर को एक विशिष्ट पहचानकर्ता के रूप में उपयोग करने का उद्देश्य डुप्लिकेट प्रवेश आवेदनों को खत्म करना है।