Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

दिल्ली हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कहा- सार्वजनिक रोजगार के मामले में CA के बराबर नहीं काॅस्ट अकाउंटेंट

सीपीएसई में निदेशक वित्त के पद से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्णय सुनाया कि सार्वजनिक रोजगार के मामलों में काॅस्ट-अकाउंटेंट के साथ CA के बराबर का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि काॅस्ट-अकाउंटेंट और CA एक समान बिल्कुल नहीं है और जिस नौकरी के लिए विज्ञापन दिया गया है उसमें पदों के लिए योग्यता तय करना नियोक्ता का काम है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 22 Sep 2023 05:58 PM (IST)
Hero Image
अदालत ने कहा कि काॅस्ट-अकाउंटेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट एक समान बिल्कुल नहीं है।

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। Delhi High Court: केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) में निदेशक वित्त के पद से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्णय सुनाया कि सार्वजनिक रोजगार के मामलों में काॅस्ट-अकाउंटेंट के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट के बराबर का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि काॅस्ट-अकाउंटेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट एक समान बिल्कुल नहीं है और जिस नौकरी के लिए विज्ञापन दिया गया है उसकी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए पदों के लिए योग्यता तय करना नियोक्ता का काम है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने की सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें एकल पीठ ने सीपीएसई में निदेशक (वित्त) के पद के लिए काॅस्ट-अकाउंटेंट पर चार्टर्ड अकाउंटेंट को दी गई प्राथमिकता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।

अदालत ने कहा कि एकल पीठ ने सही निष्कर्ष निकाला है कि नौकरी की प्रकृति सरकार को बेहतर योग्य व्यक्तियों को प्राथमिकता देने की अनुमति देती है। अदालत ने यह भी कहा कि काॅस्ट-अकाउंटेंट पर चार्टर्ड अकाउंटेंट को प्राथमिकता देने का निर्णय सरकार की विशेषज्ञ समिति द्वारा लिया गया था और अदालत विशेषज्ञ निकायों द्वारा लिए गए विचार पर अपना दृष्टिकोण नहीं थोप सकती है।

यह भी पढ़ें- PWD अधिकारियों से जुड़े केस में दिल्ली सरकार को HC से राहत, CM केजरीवाल के बंगले की मरम्मत से जुड़ा है मामला

संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लेख

इतना ही नहीं, अदालत की राय में नीतिगत मामलों में भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग में अदालत के हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं उठता है। अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में विशेषज्ञों ने काॅस्ट-अकाउंटेंट पर चार्टर्ड अकाउंटेंट को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया था और इसलिए इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।

वहीं, इंडियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) में मुख्य महाप्रबंधक के पद कार्यरहत याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) द्वारा आवेदन आमंत्रित करने के 25 नवंबर 2022 के विज्ञापन में लगाई गई शर्त को चुनौती दी।

इसमें कहा गया था कि पद पर काॅस्ट-अकाउंटेंट पर चार्टर्ड अकाउंटेंट को प्राथमिकता देने की बात की गई थी। अपीलकर्ता ने तर्क दिया था कि उनसे कनिष्ठ उम्मीदवारों को सिर्फ इसलिए साक्षात्कार के लिए शार्टलिस्ट किया गया क्योंकि वे चार्टर्ड अकाउंटेंट थे।

रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठी

यह भी पढ़ें- लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी; कहा- युवा इसके लिए स्वतंत्र, संभावित परिणाम...