Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Delhi High Court: अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से अदालतों को बचना चाहिए, उन्हें मिलना चाहिए बचाव का अवसर

कुछ पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एक सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी तब तक नहीं की जानी चाहिए जब तक कि किसी मामले का फैसला करने के लिए यह आवश्यक न हो। साथ ही यह भी कहा कि ऐसा निर्णय करने से पहले अधिकारियों को बचाव का अवसर दिया जाना चाहिए।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 29 Dec 2023 06:04 PM (IST)
Hero Image
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से अदालतों को बचना चाहिए।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। कुछ पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एक सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी तब तक नहीं की जानी चाहिए, जब तक कि किसी मामले का फैसला करने के लिए यह आवश्यक न हो। साथ ही यह भी कहा कि ऐसा निर्णय करने से पहले अधिकारियों को बचाव का अवसर दिया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि अगर संबंधित व्यक्ति अदालत के समक्ष नहीं है तो न्यायाधीशों को किसी व्यक्ति या अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। अदालत पुलिसकर्मियों की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां और दिए गए निर्देशों को चुनौती दी गई थी।

अधिकारियों को गलतियां न करने के संकेत

निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए दायर की गई पुलिसकर्मियों की याचिका पर न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने नोट किया गया कि निचली अदालत ने पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध बगैर किसी सामग्री के तल्ख टिप्पणियां की। अदालत ने कहा कि भले ही अधिकारियों की तरफ से चूक हुई हो, तब भी अदालत को टिप्पणियां करने के बजाए अधिकारियों की खामियों को नोट कर उन्हें भविष्य में ऐसी चूक नहीं करने का संकेत देना चाहिए था। अदालत ने कहा कि संबंधित सत्र न्यायाधीा ने एक तरह से पुलिस प्रशासन के प्रशासनिक कार्यों में अतिक्रमण किया।

छापेमारी टीम पर गोलीबारी का प्रयास

अदालत पुलिसकर्मियों की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां और दिए गए निर्देशों को को चुनौती दी गई थी। उक्त अधिकारी ने आरोपितों के घर पर छापेमारी की थी और इस दौरान आरोपितों ने पुलिस की कार्यवाही को बाधित किया था। आरोप है कि आरोपितों ने छापेमारी टीम पर गोलीबारी/फायरिंग का प्रयास किया था। इस बाबत एक प्राथमिकी भी हुई थी।

याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश

हालांकि, सत्र न्यायाधीश ने यह कहते हुए आरोपितों को बरी कर दिया था कि छापा मारने वाली टीम के सदस्यों के साक्ष्य पर्याप्त नहीं था और मामला पुलिस के गलत निहितार्थ को दर्शाता है। सत्र न्यायाधीश ने साथ ही पुलिस आयुक्त को छापा मारने वाली टीम के सदस्यों (याचिकाकर्ताओं) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। सत्र न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारियों के सेवानिवृत्त होने की स्थिति में पेंशन में कटौती समेत अन्य नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

अधिकारियों को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया

हालांकि, न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि सत्र न्यायाधीश ने अधिकारियों को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया। उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका काे स्वीकार करते हुए अदालत ने सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित निर्देशों को रद कर दिया गया।

ये भी पढ़ें- श्याम मीरा सिंह के खिलाफ HC पहुंचे गुरमीत राम रहीम, यूट्यूबर को दिल्ली हाईकोर्ट से नोटिस जारी