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दिल्ली HC ने कहा- DU के आदेश में दिखाई देना चाहिए विचार का स्वतंत्र उपयोग और तर्क, जानिए पूरा मामला

Delhi High Court पीएचडी स्कॉलर और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग को परीक्षा देने से एक साल के लिए रोकने के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 18 Apr 2023 09:36 PM (IST)
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दिल्ली HC ने कहा- DU के आदेश में दिखाई देना चाहिए विचार का स्वतंत्र उपयोग और तर्क, जानिए पूरा मामला
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पीएचडी स्कॉलर और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग को परीक्षा देने से एक साल के लिए रोकने के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय के आदेश में दिमाग का इस्तेमाल नहीं दिखाई देता है। अदालत ने टिप्पणी की कि विचार का स्वतंत्र उपयोग होने के साथ ही यह आदेश में तार्किक रूप से दिखाई देना चाहिए था।

गुजरात-2002 के दंगे से जुड़ी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग में संलिप्तता व भूमिका के मामले में एक साल के लिए परीक्षा देने से रोकने के खिलाफ चुग ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुनवाई के दौरान डीयू की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता मोहिंदर रूपल ने कहा कि डीयू द्वारा लिए गए निर्णय के पीछे की वजह के संबंध में वह कुछ दस्तावेज पेश करना चाहते हैं।

पीएचडी थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल

वहीं, चुग के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की पीएचडी थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है और ऐसे में मामले में तत्काल राहत की जरूरत है। अदालत ने डीयू के अधिवक्ता मोहिंदर रूपल को तीन कार्य दिवस के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि अगर इस पर याचिकाकर्ता चाहे तो दो दिनों के भी वह भी प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं। मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।

छात्र ने अपने बचाव में दी ये दलीलें

अधिवक्ता नमन जोशी और रितिका वोहरा के माध्यम से दायर याचिका में चुग ने कहा कि न तो उन्हें हिरासत में लिया गया और न ही पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की उकसाने या हिंसा या शांति भंग करने का आरोप लगाया गया। इतना ही डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग के समय चुग न तो मौजूद थे और न ही किसी भी तरह से स्क्रीनिंग में भाग लिया था।

चुग ने 10 मार्च को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के कार्यालय द्वारा पारित ज्ञापन को चुनौती दी है, इसमें उन्हें एक वर्ष की अवधि के लिए परीक्षा देने से रोक दिया गया था। साथ ही प्रॉक्टर कार्यालय द्वारा 16 फरवरी को जारी कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी है। उन्होंने यह भी दलील दी कि चुग को अनुशासनात्मक समिति के सामने अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया।

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