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Delhi Property Dispute: संपत्ति विवाद के निपटारे में फतवा वैध नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

Delhi Property Dispute अपीलकर्ता ने दलील दी थी कि उसे फतवा के माध्यम से 1971 में संपत्ति हासिल की थी। वहीं दूसरे पक्ष ने दावा किया था कि अपीलकर्ता किरायेदार है और वह बिना किराया दिए 32 साल से ज्यादा समय से रह रहा है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 11:01 AM (IST)
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अपीलकर्ता ने बताया कि फतवा के माध्यम से 1971 में संपत्ति हासिल की थी।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Delhi Property Dispute:  अचल संपत्ति के विवाद में फतवा कोई मायने नहीं रखता और फतवा की कोई कानूनी मान्यता भी नहीं है। संपत्ति का विवाद निपटारा स्थापित कानूनी मानदंडों के आधार पर किया जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) की न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया।

अपीलकर्ता ने दलील दी थी कि उसे फतवा के माध्यम से 1971 में संपत्ति हासिल की थी। वहीं, दूसरे पक्ष ने दावा किया था कि अपीलकर्ता किरायेदार है और वह बिना किराया दिए 32 साल से ज्यादा समय से रह रहा है। पूरा विवाद दरियागंज स्थित एक संपत्ति से जुड़ा है। अपीलकर्ता ने दावा किया कि संपत्ति की मालकिन ने कहा था कि उसके मरने के बाद संपत्ति का मालिक उसका किरायेदार या जो इसमें रह रहा है वह होगा। ऐसे में यह जमीन मेरी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि फतवा कानूनी रूप से मान्य नहीं है। यह आपसी विवाद के लिए प्रभावी हो सकता है, लेकिन तीसरे पक्ष पर लागू नहीं है।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि फतवा की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। पीठ ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह इस जमीन से संबंधित विवाद का निपटारा कानूनी दस्तावेजों के आधार पर छह महीने में करे। पीठ ने निचली अदालत से कहा कि वह इस पर 31 जुलाई, 2021 तक अपना फैसला दे।

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