मनपसंद व्यक्ति से शादी करना संवैधानिक अधिकार, उनकी सुरक्षा भी जरूरी... दिल्ली HC ने लव मैरिज पर की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना मानवीय स्वतंत्रता और संविधान के तहत दिए गए अधिकार का ही हिस्सा है। एक दंपती ने अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर कोर्ट ने संबंधित थानाध्यक्ष को उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने को कहा।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 30 Oct 2023 05:41 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। विवाह का अधिकार मानवीय स्वतंत्रता और भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त जीवन का अधिकार का एक हिस्सा है। यह बातें दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में कही हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि जब दो वयस्क सहमति से विवाह करने का फैसला करते हैं तो फिर माता-पिता, समाज या सरकार की ओर से किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं की जा सकती है।
कोर्ट ने यह बात तब कही है, जब एक दंपती ने कोर्ट से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। दंपती ने अपनी याचिका में कहा कि उसने अपने माता-पिता के खिलाफ जाकर शादी की है, इसलिए परिवार वाले उसे लगातार धमकी दे रहे हैं। इस कारण उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़ित दंपती को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का पूरा अधिकार है। उन्हें अपने फैसले और पसंद को लेकर किसी भी सामाजिक स्वीकृति की कोई जरूरत नहीं है। कोर्ट ने संबंधित थानाध्यक्ष को दोनों को सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
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मानव अधिकार है अपनी पसंद से विवाह करना
जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने को न सिर्फ मानव अधिकारों में रेखांकित किया गया है,बल्कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का भी एक अहम हिस्सा है। यह अनुच्छेद नागरिक को उनके जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।सुप्रीम कोर्ट ने भी दी है मान्यता
जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के अधिकार को मान्यता दी है और भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी लोगों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा देता है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति का विशेषकर विवाह को लेकर अंतर्निहित अधिकार शामिल है।
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