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'बगैर अनुमति के कालकाजी मंदिर में नहीं होगा कोई धार्मिक आयोजन', दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि कालकाजी मंदिर के परिसर में प्रशासक की अनुमति के बिना कोई जागरण या धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर का संपूर्ण प्रबंधन नियंत्रण और प्रशासन किसी अन्य व्यक्ति समाज व ईकाई के नियंत्रण के बजाए केवल प्रशासक की देखरेख में होना चाहिए।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 23 Feb 2024 08:37 PM (IST)
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'बगैर अनुमति के कालकाजी मंदिर में नहीं होगा कोई धार्मिक आयोजन'

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। जागरण के दौरान हाल ही में मंच गिरने के कारण हुई घटना मामले से जुड़ी स्थिति रिपोर्ट और जांच को देखने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि कालकाजी मंदिर के परिसर में प्रशासक की अनुमति के बिना कोई जागरण या धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर का संपूर्ण प्रबंधन, नियंत्रण और प्रशासन किसी अन्य व्यक्ति, समाज व ईकाई के नियंत्रण के बजाए केवल प्रशासक की देखरेख में होना चाहिए। कालकाजी मंदिर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई कर रही पीठ ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेआर मिढ़ा को प्रशासक नियुक्त किया था।

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27 जनवरी को मंदिर में जागरण के दौरान मंच गिरने से कई लोग घायल हो गए थे और एक महिला की मौत हो गई थी। जागरण कार्यक्रम का आयोजन सेवादार मित्र मंडल संगठन के सदस्य बताए गए दो व्यक्तियों द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में गायक बी प्राक को भी गाने के लिए आमंत्रित किया गया था। अदालत ने नोट किया कि कार्यक्रम आयोजन के संबंध में प्रशासक ने कोई अनुमति नहीं दी थी।

जनता के लिए है कालकाजी मंदिर परिसर 

मंदिर के पुनर्विकास से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि महंत की स्थिति यह है कि वह प्रशासनिक निर्णय लेने या परिसर में किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों को कोई अनुमति देने के लिए अधिकृत नहीं है। कालकाजी मंदिर का परिसर जनता के उपयोग के लिए है और कोई भी व्यक्ति या संस्था उक्त परिसर के किसी भी हिस्से पर विशेष नियंत्रण नहीं रख सकता है।

संगठन को अदालत से लेनी होगी अनुमति

अदालत ने प्रशासक को मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हुए कहा कि पूरे मंदिर का उपयोग भक्तों के कल्याण के उद्देश्य से किया जाना है और ऐसे भक्तों की सुरक्षा, कल्याण और सुरक्षा के लिए पुनर्विकास कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर कोई संगठन कोई जागरण या धार्मिक आयोजन आयोजित करना चाहता है तो वह इस संबंध में अनुमति के लिए अदालत से संपर्क कर सकता है।

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