'जानकारी एकत्र करने में कठिनाई होने पर सूचना देने से नहीं कर सकते इनकार', RTI पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो टूक
दिल्ली उच्च अदालत ने निर्णय सुनाया है कि सूचना एकत्र करने में कठिनाई आरटीआई के तहत सूचना देने से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। अदालत ने कहा कि कोई सार्वजनिक प्राधिकरण यह रुख नहीं अपना सकता कि क्योंकि मांगी गई जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध नहीं है और उसे एकत्रित करने में लंबा समय लगेगा इसलिए जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार समेत अन्य अनियमितताओं को उजागर करने के लिए हथियार माने जाने वाले सूचना का अधिकार (आरटीआई) की धार कुंद करने की सरकारी तंत्र विभिन्न माध्यम से कोशिश करता है। सूचना देने से इनकार करने के कई बहाने और रास्ते तलाशे जाते हैं, ऐसे ही एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की अपील याचिका खारिज करते हुए अहम टिप्पणी की है।
अदालत ने निर्णय सुनाया है कि सूचना एकत्र करने में कठिनाई आरटीआई के तहत सूचना देने से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। अदालत ने कहा कि कोई सार्वजनिक प्राधिकरण यह रुख नहीं अपना सकता कि क्योंकि मांगी गई जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध नहीं है और उसे एकत्रित करने में लंबा समय लगेगा, इसलिए जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है।
RTI का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना: अदालत
अदालत ने कहा कि आरटीआई का उद्देश्य सरकारी विभागों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है और इसे राज्य सरकार द्वारा यह कहकर विफल नहीं किया जा सकता है कि जानकारी जुटाने में समय लगेगा।अदालत ने उक्त टिप्पणी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज करते हुए की। पूरा मामला प्रोभजोत सिंह ढिल्लों द्वारा दायर एक आरटीआइ आवेदन से जुड़ा है।
उन्होंने सूचना मांगी थी कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने कितने मामलों में राष्ट्रीय राजधानी में निजी ट्यूशन लेने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है। सीआइसी ने पाया कि जन सूचना अधिकारी (पीआइओ) प्रतिवादी प्रोभजोत के आवेदन को लापरवाहीपूर्ण तरीके ले रहे हैं। सीआईसी ने सहायता प्राप्त स्कूल शाखा के पीआईओ ढिल्लों को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था।
ट्यूशन देनेवाले शिक्षकों के बारे में जानकारी
अदालत ने कहा कि सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा निजी ट्यूशन लेने वाले शिक्षकों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही ढिल्लों को उपलब्ध कराई जा सकती है क्योंकि जानकारी विभाग के पास उपलब्ध होगी।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में निजी ट्यूशन लेने वाले शिक्षक के खिलाफ लिए गए जुर्माने की जानकारी होनी चाहिए। अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार को प्रोभजोत को उनके द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए अपील याचिका खारिज कर दी।ये भी पढ़ें- सैम पित्रोदा के बयान के विरोध में दिल्ली BJP का प्रदर्शन, पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया
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