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महिला के खिलाफ भी चलाया जा सकता है पॉक्सो केस, अदालत ने अपील ठुकरा कर तोड़ा भ्रम

Delhi High Court ने यौन उत्पीड़न के मामले में एक अपील को ठुकराते हुए कहा कि सिर्फ पुरुष पर ही नहीं महिला पर भी पोक्सो केस चलाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि धारा-3 में आने वाले शब्द व्यक्ति को सिर्फ पुरुष के संदर्भ में पढ़ा जाए। पढ़िए आखिर पूरा मामला क्या है?

By Vineet Tripathi Edited By: Kapil Kumar Updated: Mon, 12 Aug 2024 10:34 PM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला की अपील को ठुकराया। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि पोक्साे अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के अपराधी के लिंग की परवाह किए बिना महिला के विरुद्ध भी लागू किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति अनुप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा-3 (यौन उत्पीड़न) सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं किया गया है। अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया था, भले ही बच्चे के साथ अपराध किसी पुरुष या महिला द्वारा किया गया हो।

पीठ ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं

पीठ ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि धारा-तीन में आने वाले शब्द व्यक्ति को केवल पुरुष के संदर्भ में पढ़ा जाए। अदालत ने उक्त निर्णय एक महिला आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते की।

महिला ने कहा था कि यौन उत्पीड़न के मामले में उसे आरोपित नहीं बनाया जा सकता है। आरोपित ने तर्क दिया था कि प्रविधान को पढ़ने पर पता चलता है कि इसमें सर्वनाम "वह" का उपयोग किया गया है। ऐसे में इसका अर्थ है कि विधायिका का इरादा केवल एक व्यक्ति को अपराध के लिए उत्तरदायी बनाना था।

अदालत ने महिला के तुर्कों को ठुकराया

हालांकि, पीठ ने महिला के तर्कों को ठुकराते हुए कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि पोक्सो अधिनियम की धारा-तीन में आने वाले व्यक्ति शब्द को केवल पुरुष के संदर्भ में पढ़ा जाए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत सर्वनाम "वह" का उपयोग किसी भी व्यक्ति के लिए किया जाता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। अदालत ने कहा कि पोक्सो प्रविधान की व्याख्या इस तरह से नहीं की जानी चाहिए जो अपराध को केवल एक आदमी तक सीमित कर दे।

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उक्त तर्कों के साथ अदालत ने कहा कि पेश किए गए रिकॉर्ड के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अपराध बनता है, भले ही वह एक महिला थी। याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पर लगाए गए अपराधों के लिए मुकदमा चलाने की आवश्यकता है।

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