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'निराधार न्यायिक टिप्पणियां एजेंसी का मनोबल गिराती हैं', दिल्ली HC ने क्यों की ये टिप्पणी? जानें पूरा मामला

Delhi High Court अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोपितों को बरी करते हुए निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ निराधार न्यायिक टिप्पणियां पूरी एजेंसी का मनोबल गिराती हैं। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत ने सीबीआइ को देश की प्रमुख जांच एजेंसी कहा जाता है और इसका कार्य बहुत संवेदनशील है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Mon, 25 Sep 2023 09:46 AM (IST)
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हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ निराधार न्यायिक टिप्पणियां पूरी एजेंसी का मनोबल गिराती हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi High Court: अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोपितों को बरी करते हुए निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ निराधार न्यायिक टिप्पणियां पूरी एजेंसी का मनोबल गिराती हैं।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत ने सीबीआइ को देश की प्रमुख जांच एजेंसी कहा जाता है और इसका कार्य बहुत संवेदनशील है। बिना किसी ठोस आधार के एेसी टिप्पणी पूरी एजेंसी को हतोत्साहित करती है।

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2015 के विशेष न्यायाधीष की टिप्पणी की खारिज

पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए वर्ष 2002 के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों को बरी करते हुए सीबीआइ व इसके अधिकारियों के खिलाफ वर्ष 2015 में एक विशेष न्यायाधीश द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों को खारिज करते हुए की।

उक्त आदेश पर आपत्ति जताते हुए सीबीआइ ने तर्क दिया कि विशेष न्यायाधीश ने एजेंसी को सुनवाई का अवसर नहीं दिया। सीबीआइ ने उक्त टिप्पणियों को आदेश से हटाने का निर्देश देने की मांग की थी। अदालत ने टिप्पणियों को हटाने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठी 

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