निजी स्कूलों की कैग ऑडिट नहीं होने को लेकर PIL दायर, दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा निजी स्कूलों के बहीखातों की जांच नहीं कराए जाने को लेकर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल जन सेवा वेलफेयर सोसायटी ने एक याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि निजी स्कूलों को तब तक अपनी फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती जब तक कि उनके खातों का सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं किया जाता।
By Ritika MishraEdited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 10 Nov 2023 07:25 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा निजी स्कूलों के खातों के ऑडिट की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जन सेवा वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर नोटिस जारी किया और सीएजी के साथ-साथ राजधानी के सभी निजी स्कूलों का रुख भी मांगा। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि निजी स्कूलों को तब तक अपनी फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक कि उनके खातों का सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं किया जाता और शिक्षा निदेशालय की ओर से उसकी जांच नहीं की जाती। दिल्ली सरकार के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि निजी स्कूलों के खातों का अनिवार्य रूप से सीएजी द्वारा ऑडिट कराने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।
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विशेष लेखा परीक्षक नियुक्त करने की सिफारिश
उन्होंने कहा कि कानून उन स्कूलों को अनिवार्य करता है, जिनके पास फीस तय करने की स्वायत्ता है। वह शिक्षा निदेशालय को ऑडिट के लिए अपने खातों का विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं। सीएजी के अधिवक्ता ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए विशेष लेखा परीक्षक नियुक्त किए जा सकते हैं, क्योंकि शिक्षा का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है।स्कूलों ने बिना सोच-विचार के फीस बढ़ा दी
याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि वर्ष 2010 के बाद दिल्ली में सीएजी द्वारा किसी भी निजी स्कूल का ऑडिट नहीं किया गया है और शिक्षा निदेशालय ने उनके बहीखाते की भी जांच नहीं की है, जबकि उन स्कूलों की फीस बिना किसी सोच-विचार के बढ़ा दी गई है।
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