Delhi High Court ने आधार से संपत्ति को जोड़ने के मामले पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब, चार सप्ताह का दिया समय
बेनामी लेनदेन कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए आधार से संपत्ति को जोड़ने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने सुनवाई को 30 नवंबर तक के लिए स्थगित भी कर दी।
By Sonu GuptaEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 08:30 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बेनामी लेनदेन, कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए आधार से संपत्ति को जोड़ने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनीष मोहन ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ से दिल्ली सरकार से इस मुद्दे पर औपचारिक प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए कहने का अनुरोध किया।
दिल्ली सरकार को चार सप्ताह में करना होगा हलफनामा दाखिल
पीठ ने दिल्ली सरकार को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। मनीष मोहन ने पीठ को बताया कि जब उन्होंने गृह मंत्रालय से इस संबंध में निर्देश मांगा तो 10 मार्च को मंत्रालय ने पत्र जारी करके कहा कि इस मामले को दिल्ली सरकार लड़ेगी। ऐसे में पत्र के मद्देनजर दिल्ली सरकार से औपचारिक हलफनामा दाखिल को कहा जाए।
दिल्ली सरकार पहले भी दे चुकी है जवाब
साल 2019 में इस मामले में दायर एक हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा था कि आधार को संपत्ति पंजीकरण और भूमि उत्परिवर्तन के लिए पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाता है, लेकिन यह केवल एक वैकल्पिक आवश्यकता है और कानून में इसे अनिवार्य बनाने का कोई प्रविधान नहीं है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है और यदि नागरिकों का आधार उनकी संपत्तियों से जुड़ जाता है तो भ्रष्टाचार 25 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।