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पिटबुल, रॉटवीलर सहित कई खतरनाक नस्ल के कुत्तों पर बैन, दिल्ली में फिर भी पाले जा रहे; HC ने केंद्र से तीन माह में मांगा जवाब

कुत्तों के काटने की लगातार होने वाली घटनाओं के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने खतरनाक कुत्तों को रखने के मुद्दे पर अहम आदेश दिया है। पिटबुल टेरियर्स अमेरिकन बुलडॉग और रॉटवीलर जैसे खतरनाक कुत्तों की नस्लों को रखने के लाइसेंस पर प्रतिबंध लगाने और रद्द करने के मुद्दे पर अदालत ने केंद्र सरकार को तीन माह के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा है।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 06 Dec 2023 09:58 PM (IST)
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रॉटवीलर, पिटबुल और डोगो अर्जेंटीनो कुत्ता (फाइल फोटो)।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कुत्तों के काटने की लगातार होने वाली घटनाओं के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने खतरनाक कुत्तों को रखने के मुद्दे पर अहम आदेश दिया है। पिटबुल, टेरियर्स, अमेरिकन बुलडॉग और रॉटवीलर जैसे खतरनाक कुत्तों की नस्लों को रखने के लाइसेंस पर प्रतिबंध लगाने और रद्द करने के मुद्दे पर अदालत ने केंद्र सरकार को तीन माह के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा है। अदालत ने अक्टूबर माह में याचिकाकर्ता लॉ-फर्म द्वारा दिए गए प्रतिवेदन पर अधिकतम तीन महीने में विचार को कहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की पीठ ने कुत्तों की स्थानीय नस्लों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। अदालत ने कहा कि भारतीय नस्लों पर ध्यान रखने की जरूरत है। वे कहीं अधिक ताकतवर होते हैं और वे इतनी बार बीमार नहीं पड़ते, क्योंकि वे अभ्यस्त हो गए हैं। आज हम लोकल के प्रति जागरुक हो रहे हैं।

हितधारकों के साथ परामर्श

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अभ्यावेदन पहले ही संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि इससे संबंधित कानूनों व विनियमों का मसौदा तैयार करने वाले अधिकारियों को इस मुद्दे पर निर्णय लेने दें।

पहले कोर्ट ने जनहित याचिका पर नहीं की थी सुनवाई

इससे पहले पांच अक्टूबर को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उन्हें अपनी शिकायत के साथ पहले सरकारी अधिकारियों के पास जाना चाहिए।

बैन कुत्तों का भी किया जा रजिस्ट्रेशन

याचिका में याचिकाकर्ता बैरिस्टर लॉ-फर्म ने आरोप लगाया था कि खतरनाक नस्लों के कुत्ते भारत सहित 12 से अधिक देशों में प्रतिबंधित हैं, लेकिन दिल्ली नगर निगम अभी भी इनका पंजीकरण पालतू जानवर के रूप में कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी नस्ल के कुत्तों द्वारा अपने मालिकों सहित लोगों पर हमला करने की कई घटनाएं हुई हैं।

समय की मांग है कि प्रतिबंध लगाना

याचिका में कहा गया कि पिटबुल, टेरियर्स, अमेरिकन बुलडॉग, रॉटवीलर, जापानी टोसा, बैंडोग, नीपोलिटन मास्टिफ, वुल्फ डॉग, बोअरबोएल, प्रेसा कैनारियो, फिला ब्रासीलीरो, टोसा इनु, केन कोरसो, डोगो अर्जेंटीनो जैसे कुत्तों को प्रतिबंधित करना और उनके पालन-पोषण के लाइसेंस को रद्द करना समय की मांग है। याचिका में दावा किया गया था कि यह केंद्र और राज्य सरकार का कर्तव्य है कि लोगों के हित में काम करे और ऐसे खतरनाक नस्लों के कुत्तों के काटने की किसी भी बड़ी घटना के जोखिम से नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए पूर्वव्यापी कार्रवाई करें।

53 प्रतिशत मौतों के जिम्मेदार पिटबुल और टेरियर्स

याचिका में कहा गया है कि ब्रिटेन के खतरनाक कुत्ते अधिनियम-1991 में पिटबुल और टेरियर्स को लड़ाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। सार्वजनिक सुरक्षा के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया। टाइम मैगजीन के अनुसार अमेरिका में पिटबुल और टेरियर्स की संख्या कुत्तों की आबादी का केवल छह प्रतिशत है, लेकिन वर्ष 1982 से कुत्तों द्वारा किए गए जाने वाले 68 प्रतिशत हमलों और कुत्तों से संबंधित 52 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। याचिका के अनुसार आम तौर पर पिट बुल-एंड-टेरियर्स अन्य कुत्तों के प्रति आक्रामक होते हैं।

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घटनाओं का याचिका में जिक्र

  • 10 सितंबर, 2022 को लखनऊ के पार्क में अपनी मां के साथ टहल रहे व्यक्ति पर इसी नस्ल के कुत्ते ने हमला कर दिया।
  • तीन सितंबर, 2022 को एक पिटबुल ने खुद को अपने मालिक के पट्टे से छुड़ा लिया और दस साल के बच्चे को मार डाला
  • सितंबर 2022 में मेरठ में इसी तरह के एक हमले का शिकार हुई एक किशोरी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  • 13 जुलाई, 2022 को लखनऊ में 80 वर्षीय महिला को उसके पिटबुल ने मार डाला था।
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