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Delhi: रोक के बावजूद मकान पर बुलडोजर चलता देख बिफरा दिल्ली HC, डीडीए की कार्रवाई पर की तीखी टिप्पणी

सुबह ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के अदालती आदेश के बावजूद भी एक मकान पर डीडीए के बुलडोजर चलने की कार्रवाई की लाइव तस्वीरें देखकर दिल्ली हाईकोर्ट बिफर पड़ा। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि कोई कानून-व्यवस्था है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि यह अपने आप में एक विचित्र मामला है और इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट ने उक्त संपत्ति के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

By Jagran NewsEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Tue, 08 Aug 2023 09:14 PM (IST)
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रोक के बावजूद मकान पर बुलडोजर चलता देख बिफरा दिल्ली HC
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुबह ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के अदालती आदेश के बावजूद भी एक मकान पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के बुलडोजर चलने की कार्रवाई की लाइव तस्वीरें देखकर दिल्ली हाई कोर्ट बिफर पड़ा। घटनाक्रम पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति तारा विस्तारा गंजू की पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि कोई कानून-व्यवस्था है या नहीं।

कोर्ट ने कहा- गंभीरता से लिया जाएगा

अदालत में मामला लंबित होने और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने और प्रतिवादी अधिवक्ता के आश्वासन देने के बाद भी की गई कार्रवाई को अदालत बर्दाश्त नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि यह अपने आप में एक विचित्र मामला है और इसे गंभीरता से लिया जाएगा। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने डीडीए उद्यान विभाग के निदेशक को हलफनामा दाखिल करने और उक्त संपत्ति के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

मामले में अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। पूरा मामला जाकिर नगर गली नंबर-12 निवासी नसीम अहमद के घर के बाहर डीडीए द्वारा चस्पा किए गए ध्वस्तीकरण के नोटिस से जुड़ा है। अधिवक्ता तरुण राणा के माध्यम से दायर याचिका में नसीम ने कहा कि नोटिस में वर्ष 2015 के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक आदेश के तहत झुग्गी-झोपड़ी में आधा-पक्का घर ध्वस्तीकरण का जिक्र है।

उन्होंने कहा कि उनका भवन उक्त श्रेणी में नहीं आता है। उन्होंने दलील दी कि उनके पास बिजली का कनेक्शन व अन्य दस्तावेज हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्राधिकारियों को प्रतिवेदन दिया गया था, लेकिन काेई जवाब नहीं मिला। इस पर नसीम की तरफ से पेश हुए वकील तरुण राणा ने मामले पर तत्काल सुनवाई करने की मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा से मांग की। इस पर मामला न्यायमूर्ति तारा विस्तार गंजू के समक्ष पेश हुआ और उन्होंने डीडीए को इस संबंध में मंगलवार को रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया था।

सोमवार को अदालत ने मांगा रिकार्ड

सोमवार को अदालत में याचिका दायर हुई और अदालत ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता संदीप शर्मा व अधिवक्ता तरुण राणा को मंगलवार को संबंधित रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही डीडीए की तरफ से पेश हुई स्थायी अधिवक्ता मनिका त्रिपाठी ने विभाग से निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की।

ध्वस्तीकरण पर रोक का आदेश

ध्वस्तीकरण के लिए मौके पर टीम पहुंचने पर याची के अधिवक्ता ने मामले को अदालत के समक्ष उठाया, अदालत ने डीडीए अधिवक्ता मनिका त्रिपाठी को निर्देश दिया कि मामले में सुनवाई से पहले ध्वस्तीकरण की कार्रवाई न की जाए। इस पर डीडीए स्थायी ने आश्वस्त किया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर मामले की सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता तरुण राणा, संदीप शर्मा ने डीडीए द्वारा की जा रही ध्वस्तीकरण का वीडियो अदालत के समक्ष पेश किया।

साथ ही ध्वस्तीकरण स्थल पर मौजूद संपत्ति के मालिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने जेसीबी से ध्वस्तीकरण करा रहे अधिकारियों की लाइव तस्वीरें अदालत को दिखाई। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अदालत ने एक बजे अधिकारियों को पेश होने का आदेश दिया। 

संतोषजनक जवाब नहीं दे सके पेश हुए अधिकारी अदालत के आदेश पर एक बजे उप-निदेशक, पटवारी समेत अन्य अधिकारी अदालत के समक्ष पेश हुए, लेकिन उनके पास पूरे घटनाक्रम का संतोषजनक जवाब नहीं था। इस पर अदालत ने ध्वस्तीकरण स्थल पर मौजूद रहे अधिकारी को अपराह्न चार बजे पेश होने का आदेश दिया।

वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता ने पेश होकर मांगी माफी

एक बार फिर अदालत ने मामले में सुनवाई की और इस बार अधिकारियों की तरफ से वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता अर्जुन पंत अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने पूरे घटनाक्रम के लिए माफी मांगी। वहीं, अदालत ने अफसरों के प्रति सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।

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