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लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी; कहा- युवा इसके लिए स्वतंत्र, संभावित परिणाम...

आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध से जुड़े दुष्कर्म के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि एक शादीशुदा पीड़िता शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दावा नहीं कर सकती है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि युवा लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे रिश्ते में रहने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Thu, 21 Sep 2023 09:39 PM (IST)
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न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने की सुनवाई। फोटो- फाइल फोटो
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। Delhi HC on Live-in Relationship: आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध से जुड़े दुष्कर्म के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एक शादीशुदा पीड़िता शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दावा नहीं कर सकती है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि युवा लिव-इन रिलेशनशिप जैसे रिश्ते में रहने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, भले ही ये सामाजिक मानदंडों या अपेक्षाओं के अनुरूप न हो। हालांकि, उन्हें ऐसे रिश्तों के संभावित परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने आरोपित के विरुद्ध दुष्कर्म के तहत की गई प्राथमिकी को रद कर दिया।

लिव-इन रिलेशनशिप के कई मामलों में दोनों पक्ष अविवाहित हो सकते हैं- अदालत

अदालत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप के कई मामलों में दोनों पक्ष अविवाहित हो सकते हैं या उनमें से कोई एक विवाहित हो सकता है या दोनों विवाहित हो सकते हैं। इस मामले में दो लोग लिव-इन रिलेशनशिप समझौते के तहत एक साथ रह रहे थे और भारतीय दंड संहिता की धारा-356 के तहत दी गई सुरक्षा ऐसी पीड़िता को नहीं दी जा सकती।

अदालत ने कहा कि सहमति से अलग-अलग साझेदारों से विवाह करने वाले दो विवाहित वयस्कों के बीच लिव-इन संबंध को आपराधिक नहीं बनाया गया है। अदालत ने कहा कि पक्षकारों को अपनी पसंद निर्धारित करने का अधिकार है और दाेनों को ऐसे रिश्ते के परिणाम के प्रति सचेत रहना चाहिए।

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अदालत ने कहा कि एक बार जब शिकायतकर्ता महिला खुद कानूनी रूप से तलाकशुदा नहीं है और याचिकाकर्ता कानून के तहत उससे शादी नहीं कर सकता था। लिव-इन-रिलेशन समझौते में यह भी उल्लेख नहीं किया गया था कि वे एक-दूसरे के साथ रह रहे थे या संबंध बनाए हुए थे। विभिन्न आधार पर दुष्कर्म की प्राथमिकी रद करने की मांग करते हुए व्यक्ति ने कहा था कि शिकायतकर्ता का आचरण सार्वजनिक नीति और समाज के मानदंडों के खिलाफ था।

रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठी

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