Move to Jagran APP

Delhi HC: किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान से खिलवाड़! दिल्ली हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती

दिल्ली HC में दाखिल होने वाले यौन अपराधों के मामले में अभियोजक या पीड़ित की पहचान को गोपनीय रखने के संबंध में हाई कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने निर्देश दिए जारी किए गए हैं। दिल्ली HC के रजिस्ट्रार जनरल रिवंदर दुदेजा ने सलीम बनाम दिल्ली सरकार के एक जमानत देने के मामले में न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ द्वारा अप्रैल 2023 में दिए गए आदेश के अनुपालन में निर्देश जारी किया है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaPublished: Wed, 11 Oct 2023 06:48 PM (IST)Updated: Wed, 11 Oct 2023 06:48 PM (IST)
यौन अपराधों के मामले में पीड़िता की पहचान गोपनीय रखने को लेकर हाईकोर्ट सख्त

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल होने वाले यौन अपराधों के मामले में अभियोजक या पीड़ित की पहचान को गोपनीय रखने के संबंध में हाई कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने निर्देश दिए जारी किए गए हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल रिवंदर दुदेजा ने सलीम बनाम दिल्ली सरकार के एक जमानत देने के मामले में न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ द्वारा अप्रैल 2023 में दिए गए आदेश के अनुपालन में निर्देश जारी किया है।

गोपनीयता को सख्ती से बनाए रखें- कोर्ट

अदालत ने उक्त निर्णय में कहा था कि यौन अपराधों की पीड़िता को राज्य या आरोपित द्वारा शुरू की गई किसी भी आपराधिक कार्यवाही में एक पक्ष के रूप में शामिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने साथ ही अभियोजक या पीड़ित की गुमनामी और गोपनीयता को सख्ती से बनाए रखना सुनिश्चित करने को कहा था।

यह भी पढ़ें- Delhi HC: मास्टर प्लान के मानक को पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर होंगे बंद, चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट करनी होगी पेश

अदालत ने दिए ये निर्देश

हाई कोर्ट ने इस संबंध में जारी निर्देश में कहा कि रजिस्ट्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के नाम, पता, फोटो के साथ ही उनके स्वजन व परिवार के सदस्यों के नाम, पता आदि किसी भी तरह से अदालत की वाद-सूची में शामिल न हों।

वहीं, अदालत में मामला दाखिल की जांच के स्तर पर यदि रजिस्ट्री को पता चलता है कि पीड़ित की पहचान संबंधी जानकारी पार्टियों के मेमो में या फाइलिंग में कहीं दी गई है, तो ऐसी फाइलिंग को आवश्यक संशोधन करने के लिए संबंधित अधिवक्ता को वापस कर दिया जाना चाहिए।

यह भी कहा कि यदि पक्ष अदालत में अभियोक्ता/पीड़ित/उत्तरजीवी की तस्वीरें या इंटरनेट मीडिया संचार संबंधी विवरण का हवाला देना चाहते हैं तो इसे 'सीलबंद कवर' में अदालत में ला सकती है। साथ ही पास-कोड लाक इलेक्ट्रानिक फोल्डर में दाखिल करें और पास-कोड केवल संबंधित कोर्ट मास्टर के साथ साझा करें। 

रिपोर्ट इनपुट- विनीत त्रिपाठी

यह भी पढ़ें- Delhi HC: मास्टर प्लान के मानक को पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर होंगे बंद, चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट करनी होगी पेश


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.