25 वर्ष पुराने दुष्कर्म मामले में व्यक्ति को दिल्ली HC ने बरी रखा, जानिए क्या है पूरा मामला
दुष्कर्म और अपहरण के एक ढाई दशक पुराने मामले में व्यक्ति को बरी करने के निचली अदालत के निर्णय को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने अपने निर्णय में सही पाया है कि परीक्षण के दौरान पीड़िता ने प्रतिवादी व्यक्ति पर कुछ भी गलत करने के संबंध में एक शब्द नहीं बोला है।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 04 Sep 2023 07:11 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दुष्कर्म और अपहरण के एक ढाई दशक पुराने मामले में व्यक्ति को बरी करने के निचली अदालत के निर्णय को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने अपने निर्णय में सही पाया है कि परीक्षण के दौरान पीड़िता ने प्रतिवादी व्यक्ति पर कुछ भी गलत करने के संबंध में एक शब्द नहीं बोला है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपित ने लड़की के साथ 17 जून 1997 को शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन लड़की ने ऐसा बयान नहीं दिया कि प्रतिवादी व्यक्ति ने उसके साथ जबरदस्ती की थी। अभियोजन पक्ष ने वारदात का आधार लड़की की उम्र को बनाते हुए तर्क दिया था कि घटना के दौरान वह 12 साल की थी, लेकिन इस संबंध में कोई दस्तावेज नहीं पेश किया गया।
आरोप साबित नहीं कर सकता अभियोजन पक्ष
इतना ही नहीं लड़की का एक्स-रे कराया गया था, लेकिन ना तो इसकी रिपोर्ट जांच अधिकारी ने एकत्र की और न ही इसे अदालत के समक्ष पेश किया गया। पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने बिल्कुल सही निष्कर्ष निकाला है कि अभियोजन पक्ष आरोप को साबित करने में नाकाम रहा है।1997 में दर्ज कराई थी प्राथमिकी
ऐसे में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की जाती है। याचिका के अनुसार, शिकायतकर्ता पिता ने 17 जून 1997 को प्राथमिकी कराई थी कि उसकी बेटी लापता है और पड़ोस में रहने वाला प्रतिवादी व्यक्ति ने उनकी बेटी का अपहरण किया है। जांच के दौरान लड़की को बरामद किया गया था।
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