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    छात्रों से एटेंडेंस और अंकों के बदले रिश्वत मांगता था प्रोफेसर, दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 08:42 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने जीसस एंड मैरी कॉलेज की प्रोफेसर की बर्खास्तगी को बरकरार रखा जिन पर छात्रों से रिश्वत मांगने का आरोप था। अदालत ने कहा कि छात्रों से अवैध लाभ की मांग करना गंभीर मामला है। प्रोफेसर ने आरोपों को गलत बताया और जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए लेकिन अदालत ने मध्यस्थता के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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    छात्रों की उपस्थिति व अंकों के बदले रिश्वत मांगने वाले प्रोफेसर की बर्खास्तगी हाई कोर्ट ने रखी बरकरार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। छात्रों से उपस्थिति और अंकों के बदले रिश्वत और अन्य अवैध लाभ मांगने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी काॅलेज के प्रोफेसर की बर्खास्तगी को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।

    न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि छात्रों से अवैध लाभ की मांग करना गंभीर मामला है। अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए डाॅ. थेल्मा जे टल्लू की बर्खास्तगी को बरकरार रखने वाले मध्यस्थता फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

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    टल्लू ने अक्टूबर 2012 में दिए गए एक मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी थी। वर्ष 2008 में छात्रों ने प्रो. तल्लू पर उपस्थिति और अंकों जैसे शैक्षणिक लाभों के बदले में नकदी और मोतियों की माला सहित अन्य सामान मांगने का आरोप लगाया था।

    टल्लू ने दावा किया था कि ये सभी शिकायतें व्यक्तिगत दुश्मनी और प्रशासनिक पूर्वाग्रह के कारण रची गई मनगढ़ंत शिकायतें थीं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ ऑडियो रिकॉर्डिंग एडिट की गई थी।

    काॅलेज और विश्वविद्यालय ने एक जांच समिति और बाद में एक अपील समिति का गठन किया, दोनों ने अनुशासनात्मक कार्यवाही के बाद कदाचार के आरोपों को बरकरार रखा।

    हालांकि, अपील समिति ने बर्खास्तगी की सजा को घटाकर सेवा समाप्ति कर दिया, ताकि उनकी सेवानिवृत्ति की देय राशि प्रभावित न हो।

    वहीं, टल्लू ने तर्क दिया कि जांच प्रक्रिया उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण थी और उन्हें निष्पक्ष बचाव और उचित कानूनी प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं दिया गया। हालांकि, मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मध्यस्थता के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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