दिल्ली के अस्पतालों में 200 करोड़ का घपला, LG सक्सेना ने 5 इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 200 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पीडब्ल्यूडी के 5 इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। एसीबी को प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 17ए के तहत जांच करने और मुकदमा चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इस घोटाले में 2 असिस्टेंट इंजीनियर और 3 जूनियर इंजीनियर भी शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 200 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में 5 इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है।
एलजी सक्सेना ने प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 17ए के तहत एसीबी को पीडब्ल्यूडी के पांच इंजीनियरों के खिलाफ जांच करने और उनपर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। दिल्ली के अस्पतालों में इस घोटाला मामले में पीडब्लूडी के 2 असिस्टेंट इंजीनियर और तीन जूनियर इंजीनियर के खिलाफ जांच करने की भी मंजूरी दे दी।
क्या है 200 करोड़ के घोटाले का मामला
भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में निर्माण के नाम पर हुए 200 करोड़ के घोटाला मामले में पीडब्ल्यूडी के एक पूर्व उच्चाधिकारी समेत दो फर्मों के मालिकों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों ने मिलभगत कर एलएनजेपी, जीटीबी, बीएसए और जीबी पंत जैसे दिल्ली सरकार के 8 नामी अस्पतालों में गड़बड़ियां कर, फर्जी बिल लगाकर निर्माण ठेके में 200 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। एसीबी मामले का मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही थी।एडीजी के पद से रिटायर अधिकारी हुए थे अरेस्ट
गिरफ्तार किए गए अधिकारी का नाम अनिल कुमार आहूजा है, जो पीडब्ल्यूडी में तब मुख्य अभियंता स्वास्थ्य था और पीडब्ल्यूडी से अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) पद से सेवानिवृत्त हुआ है। जबकि एवी इंटरप्राइजेज का मालिक विनय कुमार और विवेक एसोसिएट्स से अक्षितिज बिरमानी को गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखा था
एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा के मुताबिक, एसीबी द्वारा कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न निजी फर्मों को दिए गए दिल्ली सरकार के अस्पतालों में विभिन्न कार्यों की व्यापक जांच की गई। जांच में पता चला है कि इन दो फर्मों को कोरोना काल में दिल्ली सरकार के आठ अस्पतालों में विभिन्न कार्यों का ठेका आवंटित करने में सारे नियमों को ताक पर रख कर दिया गया। इसके बाद बिना काम किए रुपयों का भुगतान भी कर दिया गया।
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