Delhi: पानी के लिए दूसरे राज्यों पर हैं निर्भर, फिर भी हो रही बर्बादी; करना पड़ सकता है जल संकट का सामना
दिल्लीवासियों को पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी की यहां जमकर बर्बादी हो रही है। दिल्ली के पास पानी का अपना कोई स्रोत नहीं है। इसके बावजूद उपलब्ध पानी का सदपुयोग नहीं हो रहा है। राजधानी में स्थित नौ जल शोधन संयंत्रों (डब्ल्यूटीपी) से उपचारित पानी का आधा से ज्यादा या तो बर्बाद हो जाता है या चोरी
By Jagran NewsEdited By: Sonu SumanUpdated: Wed, 13 Dec 2023 07:31 AM (IST)
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। पानी का अपना स्त्रोत नहीं होने की वजह से दिल्ली दूसरे राज्यों निर्भर है। पड़ोसी राज्यों से मिलने वाले पानी से ही दिल्लीवासियों की प्यास बुझती है। इसके बावजूद उपलब्ध पानी का सदपुयोग नहीं हो रहा है।
जल वितरण के कुप्रबंधन से राजधानी में स्थित नौ जल शोधन संयंत्रों (डब्ल्यूटीपी) से उपचारित पानी का आधा से ज्यादा या तो बर्बाद हो जाता है या चोरी। इससे जल बोर्ड को राजस्व का नुकसान होने के साथ ही दिल्लीवासियों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में जल बोर्ड से पक्ष मांगा गया, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सका।
प्रति व्यक्ति पानी उपलब्धता में कटौती
पानी वितरण को तर्कसंगत बनाने के नाम पर प्रति व्यक्ति पानी आपूर्ति में कटौती की जा रही है। पिछले आर्थिक सर्वेक्षण में दिल्ली में प्रति व्यक्ति 60 जीपीसीडी (गैलन पर कैपिटा डे) पानी आपूर्ति निर्धारित की गई थी। अब इसे 50 जीपीसीडी कर दिया गया है। तर्क दिया गया है कि दिल्ली की अनुमानित जनसंख्या 2.15 करोड़ को पानी उपलब्ध कराने के लिए यह जरूरी है।ये भी पढ़ेंः Delhi News: AIIMS में HAI अनुसंधान केंद्र और चार नए ब्लाक का शुभारंभ आज, चिकित्सा सुविधाएं में मिलेगा लाभ
पिछले वर्षों से ज्यादा हो रही पानी की बर्बादी
दिल्ली सरकार के आउट कम बजट के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में उपलब्ध 995 एमजीडी पानी में से औसतन 421.64 एमजीडी पानी का ही बिल उपभोक्ताओं को भेजा जा रहा है। शेष पानी का कोई लेखा-जोखा नहीं रहता है। पानी बर्बादी के मामले में पिछले वर्षों से स्थिति ज्यादा खराब हुई है। वर्ष 2021-22 में 450.39 एमजीडी पानी का बिल उपभोक्ताओं को भेजा जाता था।पानी वितरण में सुधार के लिए उठाए गए कदम
पुराने और क्षतिग्रस्त पाइप को बदलने के साथ ही नई पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है। पुरानी पाइपलाइन को बदलने के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इससे 35 सौ किलोमीटर पाइपलाइन बदला जाना है। जल बोर्ड का दावा है कि पिछले वर्ष 33 सौ किलोमीटर से ज्यादा पाइपलाइन बदली गई है। जल शोधन संयंत्रों, भूमिगत जलाशयों व पाइपलाइन पर फ्लो मीटर लगाए जा रहे हैं।
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