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Delhi Kanjhawala Death Case: 'कार के नीचे कुछ फंसा है', चालक ने नशे में धुत दोस्तों को किया था आगाह

Delhi Girl Accident सुल्तानपुरी की बर्बर घटना के प्रति पेशेवर मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस का रवैया बेहद लचर और असंवेदनशील रहा। घटना की सूचना मिलने के बाद गंभीरता से जांच करने के बजाए पुलिस ने कमजोर धाराओं में मामला दर्ज कर पहले तो सिर्फ खानापूर्ति करने की कोशिश की।

By Dhananjai MishraEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 03 Jan 2023 08:30 PM (IST)
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चश्मदीद की तलाश के बजाए आरोपितों के बयान पर किया भरोसा, सामान्य हादसा मानती रही पुलिस

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इंसानियत को शर्मसार करने वाली सुल्तानपुरी की बर्बर घटना के प्रति पेशेवर मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस का रवैया बेहद लचर और असंवेदनशील रहा। घटना की सूचना मिलने के बाद गंभीरता से जांच करने के बजाए पुलिस ने कमजोर धाराओं में मामला दर्ज कर पहले तो सिर्फ खानापूर्ति करने की कोशिश की। इसके बाद जब मामला सुर्खियों में आया तो वारदात से जुड़े अहम तथ्यों, सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से लेकर चश्मीद की तलाश करने के बजाए पुलिस पकड़े गए आरोपितों के बयान पर दो दिनों तक गुमराह होती रही।

दिल को झकझोर देने वाली इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली से लेकर इसकी जांच पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपितों से पूछताछ के बाद पुलिस ने शुरू में बताया कहा कि कार में तेज आवाज में संगीत बज रहा था। ऐसे में आरोपितों को पता नहीं चला कि कार के नीचे कोई फंसा। जबकि अब जांच में सामने आ रहा है कि वारदात के दौरान कार दीपक खन्ना चला रहा था।

साथियों ने चलते रहने को कहा

घटना के कुछ देर बाद दीपक ने साथियों से कहा कि ऐसा लग रहा है कि कार के नीचे कुछ फंसा है, इस पर साथियों ने उसे चलते रहने के लिए कहा। यदि शुरू में पुलिस आरोपितों के बयानों का सत्यापन करने और घटना के चश्मदीद की तलाश के लिए गंभीरता से काम करती तो कई सवालों के जवाब पहले ही मिल चुके होते। वारदात के दो दिनों तक पुलिस को यह नहीं पता चला कि वारदात के समय स्कूटी पर अंजलि के साथ उसकी सहेली भी थी।

ये दो धाराएं लगाई

बाहरी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी कहा था कि पीड़िता को कई किलोमीटर तक कार से घसीटा गया। इसके बावजूद पुलिस ने शुरू में एफआइआर में धारा 279 (खतरनात तरीके से वाहन चलाने) और धारा 304ए (जब कोई व्यक्ति उतावलेपन में ऐसा कार्य करे जिससे हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो) सिर्फ यही दो धाराएं लगाई।

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घटना से संबंधित पूरी जानकारी देने से बच रही पुलिस

वारदात के तीन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस घटना से संबंधित पूरी जानकारी देने से अभी-भी बच रही है। तीन दिन में पुलिस की ओर से दो बार विशेष पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था सागर प्रीत हुड्डा द्वारा प्रेसवार्ता की गई है। सोमवार को हुई प्रेसवार्ता में उन्होंने पांचों आरोपितों की गिरफ्तारी और पुलिस द्वारा मामले में बेहतर जांच करने की बात बताई गई, दूसरी प्रेसवार्ता मंगलवार को हुई।

92 सेंकंड की प्रेसवार्ता में उन्होंने वारदता के दौरान अंजलि के साथ उसकी सहेली होने और उसके द्वारा मामले की जांच सहयोग करने की बात ही बताई गई। विशेष आयुक्त अपनी बात रखकर वहां से चलते बने। इस दौरान उन्होंने सवालों के जाबाव नहीं दिए।

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अपनी गलती नहीं मान रही पुलिस

बताया जा रहा है कि बर्बर हादसे में पुलिस द्वारा बरती गई लापरवाही को दिल्ली पुलिस के आलाअधिकारी मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। जबकि इस मामले में पुलिस गश्त से लेकर मामले की जांच तक में पुलिस द्वारा लापरवाही बरती गई है।

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