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Delhi: शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी, दिल्ली की अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

दिल्ली की कड़कड़ूमा कोर्ट ने सोमवार को शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। शरजील के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि वह पहले अधिकतम सजा की आधी अवधि साढ़े तीन साल की सजा को काट चुका है। वह 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है। कोर्ट ने 25 सितंबर तक जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।

By Jagran NewsEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Mon, 11 Sep 2023 05:31 PM (IST)
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शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे से पहले नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपित शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में शरजील ने यह कहते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत वैधानिक जमानत मांग की है।

कोर्ट में शरजील ने रखा पक्ष

उसने कोर्ट में कहा कि उसके ऊपर लगे आरोपों में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है, जिसमें से आधी अवधि न्यायिक हिरासत पूरी हो चुकी है। अर्जी के विरोध में अभियोजन की ओर से दलील दी गई कि आरोपित समवर्ती सजा के आधार पर यह मांग कर रहा है, जोकि उचित नहीं है।

कानून में समवर्ती सजा एक अपवाद है, जबकि लगातार सजा एक नियम है। ऐसे में अर्जी योग्य नहीं मानी जा सकती। अब इस मामले में 25 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। दिल्ली दंगे से पहले वर्ष 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के मामले में दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ प्राथमिकी की थी। इस मामले में वह 28 जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में है।

शरजील पर लगे थे ये आरोप

उस पर राजद्रोह, सांप्रदायिक शत्रुता पैदा करने, राष्ट्रीय एकता के खिलाफ भाषण देने, अफवाह फैलाने व गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 के तहत आरोप लगाए गए थे। राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार होने तक इस आरोप को लेकर कार्रवाई रोक दी गई थी। बाकी आरोपों पर मुकदमा चल रहा है। उनमें से तीन आरोपों में अधिकतम तीन-तीन वर्ष और यूएपीए में अधिकतम सात साल कैद की सजा का प्रविधान है। हाल मे शरजील ने सीआरपीसी के प्रावधान के तहत जमानत अर्जी दायर की थी।

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उसमें कहा था कि उसके ऊपर लगे आरोपों में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है, जबकि वह जेल में तीन साल छह महीने से अधिक समय बिता चुका है। कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा न्यायिक हिरासत में पूरा कर लेने के कारण वह वैधानिक जमानत का हकदार है। अभियोजन की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि आरोपित समवर्ती सजा के आधार पर यह मांग कर रहा है।

कानून में समवर्ती सजा एक अपवाद है, जबकि लगातार सजा एक नियम है। इस केस में उस पर लगे चार आरोपों में उसे लगातार सजा पर अधिकतम 16 वर्ष की कैद हो सकती है। चूकि सीआरपीसी की धार 31 के अनुसार अधिकतम सजा 14 वर्ष तक सीमित है। उस लिहाज से भी जिस प्रविधान के तहत अर्जी दायर की गई है, योग्य नहीं मानी जा सकती। शरजील के वकील ने अभियोजक की इस दलील को अनुचित बतायादिल्ली की कोर्ट ने 25 सितंबर तक जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा लिया है।

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