Delhi: ड्राइविंग प्रशिक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर सबसे कम ध्यान, पड़ताल में सामने आईं खामियां; इस कारण बढ़ रहे हादसे
छिकारा परिवहन विभाग के पूर्व उपायुक्त व परिवहन विशेषज्ञ अनिल छिकारा कहते हैं कि यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि देश की राजधानी में युवा पिता या पड़ाेसी की मदद से ही वाहन चलाना सीख रहे हैं या गली मोहल्ले में ऐसे ही अवैध केंद्रों से प्रशिक्षण लेते हैं। पांंच प्रतिशत से भी कम लोग ड्राइविंग का कुशल प्रशिक्षण लेते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Thu, 07 Dec 2023 04:00 AM (IST)
वी के शुक्ला, नई दिली। अन्य पिछड़े राज्याें में ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी ड्राइविंग प्रशिक्षण के सबसे गंभीर मुद्दे पर सबसे कम ध्यान है, इसे लेकर न ही परिवहन विभाग सक्रिय है और न ही जनता जागरक है। यहां अधिकतर ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र अवैध रूप से चल रहे हैं। कइयों के पास लाइसेंस नहीं है और कइयों के लाइसेंसय का नवीनीकरण नहीं हुआ है।
यहां चौंकाने वाली बात यह है कि 1990 के करीब दिल्ली में जो 100 के करीब वैध ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र होते थे जो घटकर 50 के करीब रह गए हैं। जबकि अवैध खूब फल-फूल रहे हैं और नियमों करी धज्जियां उड़ा रहे हैं।पिछले कुछ सालों की बात करें तो परिवहन विभाग में यह किसी को याद नहीं है कि पिछली बार अवैध ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र पर कार्रवाई के लिए अभियान कब चलाया गया था।
वैसे विशेषज्ञ इस मामले में खामियों के लिए परिवहन विभाग को भी जिम्मेदार मानते हैं।उनकी मानें ताे परिवहन विभाग ने ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के लिए नियम इतने जटिल बना दिए हैं कि नया लाइसेंस लेना कठिन है और जो लाइसेंस बने हैं उनका नवीनीकरण कठिन है।
वहीं इस मामले में परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के लाइसेंस का मामला कोर्ट में है, विभाग की ओर से लाइसेंस के लिए नियम लचीले बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसके चलते कई लोग इस इंतजार में हैं कि नियम लचीले हों तो वे आवेदन करें।उन्होंने कहा कि सड़कों पर गलत तरीके से ड्राइविंग प्रशिक्षण देते या अवैध वाहन मिलने पर परिवहन विभाग कार्रवाई करता है।
खामियां आईं सामने
ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों को लेकर दैनिक जागरण ने दिल्ली भर में पड़ताल की तो कई खामियां सामने आई हैं आइये डालते हैं एक नजर।बाहरी दिल्ली क्षेत्र में बिना अनुमति धड़ल्ले से ड्राइविंग स्कूल चल रहे हैं। सुल्तानपुरी,मंगोलपुरी,बुध विहार, विजय विहार के अलावा रोहिणी में बड़ी संख्या में ड्राइविंग स्कूल बिन लाइसेंस चल रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर ये ड्राइविंग स्कूल बिना लर्निंग लाइसेंस के ही युवकों को ड्राइविंग सीट पर बैठा देते हैं।
कई बार तो 18 साल से कम उम्र बच्चों को भी कार सिखाते दिख जाते हैं। यातायात नियमों का भी पालन नहीं करते हैं।बिना सील्ट बेल्ट पहने ही सड़कों पर कार लेकर निकलते दिख जाते हैं।इन स्कूलों में चलने वाली गाड़ियां भी किराये पर है, जबकि नियम के मुताबिक ड्राइविंग स्कूल के नाम ही गाड़ी होनी चाहिए। इसके साथ ही गाड़ी के पीछे लर्निंग का लोगो भी नहीं लगाते हैं।यमुनापार में कई ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। यमुना विहार, भजनपुरा, सीलमपुर, गीता कालोनी, मयूर विहार, गाजीपुर, मुस्तफाबाद, वेलकम, जाफराबाद समेत कई स्थानों पर केंद्र हैं।बहुत से केंद्र संचालकों के पास परिवहन विभाग का लाइसेंस ही नहीं है।जिस जगह केंद्र है, उसके पासपास की सड़कों पर संचालक लोगों को वाहन चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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दक्षिणी दिल्ली स्थित सराय काले खां में ड्राइविंग स्कूल में यातायात नियमों के तहत सड़कें बनाई गई हैं। यहां पर सही तरीके से वाहन चलाना सिखाने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाता है। जबकि कालकाजी, गोविंदपुरी, संगम विहार, बदरपुर, जामियानगर में अवैध तरीके से ड्राइविंग प्रशिक्षण के केंद्र चल रहे हैं। यहां नियमों की अनदेखी कर वाहन चलाना सिखाया जाता है।
नई दिल्ली और मध्य दिल्ली की स्थिति भी अन्य जिलों से कुछ अलग नहीं है।गली मोहल्लों में ये ड्राइविंग केंद्र चल रहे हैं।अवैध रूप से चल रहे इन स्कूलों में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।सड़कों पर सिंगल सिस्टम की गाड़ियों से ड्राइविंग सिखाई जाती है। जबकि नियम इसकी अनुमति नहीं देता है, नियम यह भी कहता है कि जब तक प्रशिक्षण ले रहे व्यक्ति के वाहन को सड़क पर नहीं लाया जा सकता है जब तक वह प्रशिक्षण में पारंगत न हो चुका हो।
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