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उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मंत्री की भाषा पर जताई आपत्ति, दी कानूनी कार्यवाही की चेतावनी

Delhi LG Internet Media Agency दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आप सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा इंटरनेट मीडिया एजेंसी की नियुक्ति के मामले में दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। राजनिवास ने कहा है कि मंत्री द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा अनुचित अपमानजनक भ्रामक और स्पष्ट रूप से झूठी है। इस मामले में कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Thu, 05 Sep 2024 12:02 AM (IST)
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उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मंत्री की भाषा पर जताई आपत्ति, दी कानूनी कार्यवाही की चेतावनी
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया एजेंसी की नियुक्ति के मामले में राजनिवास ने आप सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा जारी बयान और उसमें उनके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई है। राजनिवास के मुताबिक, उन्होंने जिन शब्दों का चयन अपने बयान में किया है, वह अनुचित, अपमानजनक, भ्रामक और स्पष्ट रूप से झूठे हैं। इस मामले में कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

बकौल राजनिवास, जिस सरकार के मंत्री की तरफ से इस तरह का बयान आया है, उस सरकार ने 2019-2023 के दौरान प्रचार पर जनता के 1900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो हास्यास्पद और सर्वथा अनुचित है। इस अवधि में महामारी के कारण दो साल का गंभीर वित्तीय संकट भी शामिल है। वर्ष 2023-2024 के लिए सरकार के प्रचार का बजट 557.24 करोड़ रुपये था।

कांग्रेस सरकार की तुलना में काफी ज्यादा राशि खर्च

यहां यह बताना अप्रासंगिक नहीं होगा कि उनकी सरकार के 1900 करोड़ रुपये की तुलना में, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के 2009-2010 से 2013-2014 के पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान यह राशि मात्र 87.5 करोड़ रुपये थी।

प्रचार में हर दिन 1.2 करोड़ रुपये खर्च

इस सरकार ने प्रचार पर प्रतिमाह औसतन 36 करोड़ रुपये और प्रतिदिन 1.2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि प्रदूषण, स्वास्थ्य और नागरिक बुनियादी ढांचे के मामले में दिल्ली की नारकीय स्थिति सर्वविदित है।

राजनाविस से आगे क्या कहा

राजनिवास ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल सचिवालय आम जनता से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों से निपटता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ आवास, बुनियादी ढांचे का विकास, शहर का उन्नयन और कानून व्यवस्था, सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था शामिल है।

हरित स्थलों का विकास, विरासत स्थलों और इमारतों के जीर्णोद्धार, नालों की सफाई, यातायात/पार्किंग प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण, गांवों का विकास आदि जैसे कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी सीधे तौर पर एलजी की देखरेख में चल रहे हैं, जिनमें जनता की भागीदारी और उनके फीडबैक की आवश्यकता होती है।

लोगों के बीच समन्वय बनाना

राजनिवास अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली के विभिन्न शहरी निकायों, दिल्ली सरकार व दिल्ली की अन्य एजेंसियों और बड़े स्तर पर यहां के निवासियों के बीच निर्बाध समन्वय बनाने के लिए भी यह सचिवालय एक फोरम के रूप में काम करता है। इन सभी कार्यों में दिल्ली की जनता के साथ लगातार बातचीत और विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है।

साथ ही ऐसे समय में जब विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर अक्सर निहित स्वार्थ साधने के लिए कुछ लोगों द्वारा फर्जी खबरों, गलत जानकारियों और झूठ का प्रचार किया जाता है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि सचिवालय द्वारा लोगों को तथ्यात्मक और सही जानकारी देकर, इससे सही तरीके से निपटा जाए।

इंटरनेट मीडिया एजेंसी की नियुक्ति की निविदा, जिसकी राशि सालाना 1.5 करोड़ रुपये है, को संबंधित प्लेटफार्म पर पारदर्शी रूप से पोस्ट किया गया और ऐसा करने के लिए उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों और कारणों को भी निविदा दस्तावेज में रेखांकित किया गया है।

राजनिवास के बयान पर आप की प्रतिक्रिया

आप का कहना है, एलजी को समझना चाहिए कि वह दिल्ली के पहले एलजी नहीं हैं। ऐसे कई निपुण व्यक्ति हुए हैं जो दिल्ली के एलजी जैसे सम्मानजनक पद पर रहे हैं। ऐसे कोई एलजी नहीं हुए हैं जिन्होंने अपनी छवि और आफिस के लिए इतनी महंगी इंटरनेट मीडिया एजेंसी हायर की हो। आप ने कहा है कि एलजी और उनके सचिवालय की समस्या यह है कि वे अपनी तुलना दिल्ली की चुनी हुई सरकार या मुख्यमंत्री से करने लगे हैं।

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