दिल्ली सरकार की 10 करोड़ से अधिक की सभी परियोजनाओं पर जरूरी होगा इंटीग्रिटी पैक्ट, LG के आदेश का समझिए मतलब
सरकारी परियोजनाओं और खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार खत्म करने और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने सरकारी खरीद से संबंधित टेंडर के समय सरकार और वेंडर के बीच इंटीग्रिटी पैक्ट को अनिवार्य कर दिया है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सरकारी परियोजनाओं और खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार खत्म करने और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने सरकारी खरीद से संबंधित टेंडर के समय सरकार और वेंडर के बीच इंटीग्रिटी पैक्ट को अनिवार्य कर दिया है।
नए नियम के तहत 10 करोड़ रुपये से अधिक की सभी सरकारी योजनाओं अथवा खरीद में इंटीग्रिटी पैक्ट अनिवार्य होगा। अगर इस पैक्ट का किसी वेंडर द्वारा उल्लंघन किया गया तो उसे टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अयोग्य करार दे दिया जाएगा और उस पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
भ्रष्टाचार नहीं करने का देना होगा शपथपत्र
दिल्ली सरकार के अधीन सभी विभागों, स्वायत्त निकायों और सिविक एजेंसियों में अब से 10 करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं में निविदा लगाने वाले ठेकेदारों एवं विक्रेताओं को अनिवार्य रूप से सरकार के साथ इंटीग्रिटी पैक्ट पर हस्ताक्षर करना होगा। इस पैक्ट के तहत बोली लगाने वाले ठेकेदारों सहित दोनों पक्षों के व्यक्ति, अधिकारी को शपथपत्र देना होगा कि वह किसी भी तरह से, किसी भी परिस्थिति में भ्रष्टाचार नहीं करेंगे।
अनुबंध के निष्पादन से संबंधित किसी भी मुद्दे की जांच-पड़ताल के लिए स्वतंत्र बाहरी मॉनिटर (इंडिपेंडेंट एक्सटरनल मॉनिटर-आईईएम) भी नियुक्त किए जाएंगे। निविदा से संबंधित दस्तावेज पर आईईएम का भी नाम होगा, जो सीवीसी के पैनल या सरकारी एजेंसियों द्वारा नियुक्त किए गए पैनल से चुने जाएंगे।
हर नियम का किया जाए पालन
एलजी ने इस आशय के एक प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए निर्देश दिया है कि इस नियम का हर हाल में अक्षरश: पालन किया जाए। एलजी ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2007 में ही इंटीग्रिटी पैक्ट और आइईएम की नियुक्ति के प्रावधान किए जाने थे, लेकिन दिल्ली सरकार के कुछ विभाग और एजेंसियों ने इन दिशा-निर्देशों का पालन 10 साल बाद वर्ष 2017 से करना शुरू किया।
किसी ने नहीं अपनाई ये प्रक्रिया
उन्होंने इस तथ्य पर भी खेद व्यक्त किया है कि साल 2017 के बाद भी लोक निर्माण विभाग और दिल्ली नगर निगम जैसे महत्वपूर्ण विभागों में से किसी ने भी इंटीग्रिटी पैक्ट और आइईएम प्रक्रिया को नहीं अपनाया। इतना ही नहीं, विभागों ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि 50 करोड़ रुपये की तत्कालीन प्रारंभिक सीमा उनकी परियोजनाओं और खरीद पर लागू नहीं होती। इन सभी प्रक्रियाओं पर विराम लगाते हुए उपराज्यपाल ने सरकारी ठेकेदारी में पारदर्शिता सुनिश्ति करने के लिए अनुमोदित नए प्रस्ताव में तदनुसार सीमा को घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया है।