Delhi: एलजी ने पशु कल्याण बोर्ड सदस्यों को नामित करने की फाइल भेजी वापस, पूर्व नौकरशाह की खराब छवि बताई वजह
Delhi Politics उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने फाइल लौटाने की वजह अनुभव का अभाव व पूर्व नौकरशाह की खराब छवि बताई है। सीएम की स्वीकृति के बाद यह फाइल पिछले साल 14 दिसंबर 2022 को एलजी की मंजूरी के लिए एलजी ऑफिस भेजी गई थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड (डीएडब्ल्यूबी) में सदस्यों को नामित करने से जुड़ी फाइल सीएम अरविंद केजरीवाल को वापस भेज दी है। उन्होंने कहा है कि नामित लोगों के पास अनुभव का अभाव है और इनमें शामिल एक पूर्व नौकरशाह की छवि खराब है। डीएडब्ल्यूबी के नियम कहते हैं कि बोर्ड में नामित शख्स राज्य में पशु कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि फाइल इस टिप्पणी के साथ लौटाई गई है कि डीएडब्ल्यूबी के पुनर्गठन के प्रस्ताव की समीक्षा करें और सुनिश्चित करें कि नामित सदस्य बेदाग व ईमानदार हों। उन्होंने पशु कल्याण के लिए काम किया हो। बोर्ड का गठन ऐसा हो कि उसमें विभिन्न संबंधित संगठनों का प्रतिनिधित्व हो।
डीएडब्ल्यूबी कार्यकारी समिति का पुनर्गठन सितंबर 2020 से लंबित
सूत्रों ने दावा किया कि डीएडब्ल्यूबी कार्यकारी समिति का पुनर्गठन सितंबर 2020 से लंबित है क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने इसके सदस्यों को नामित करने में 27 महीने लगा दिए हैं। सीएम की स्वीकृति के बाद यह फाइल पिछले साल 14 दिसंबर 2022 को एलजी की मंजूरी के लिए एलजी ऑफिस भेजी गई थी।
सूत्रों ने बताया कि इसमें पूर्व नौकरशाह राकेश कुमार का नाम भी शामिल है, जो सतर्कता विभाग की जांच का सामना कर रहे हैं और अन्य नाम सबीना गढ़ीहोके का है। एलजी वीके सक्सेना ने फाइल पर नोट लिखा है, “सेवानिवृत्त दानिक्स अधिकारी राकेश कुमार गौड़ को डीएडब्ल्यूबी के सदस्य के रूप में नामित किया गया है, जबकि वह सतर्कता पहलू से पाक-साफ नहीं हैं। सबीना गढ़ी हो के संबंधित क्षेत्रों में मूल्यवान संसाधन हो सकती हैं, लेकिन उनके पास पशु कल्याण के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है जिसे बोर्ड के नियमों में जरूरी बताया गया है।’
एलजी ने फाइल पर लिखा ‘मैंने जनता से जुड़े अहम कार्यों व शासन के महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित फाइलों के निपटान में मंत्रियों की ओर से अत्याधिक देरी और उदासीन रवैये को कई बार रेखांकित किया है।’ एलजी ने कहा सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव उनके विचार के लिए दो हफ्ते में फिर पेश किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया इनमें ‘गोसदन फाउंडेशन’ संगठन के पांच प्रतिनिधि भी शामिल हैं जो गौशाला श्रेणी में हैं।
मई 2022 से मुद्दे की निगरानी कर रहा हाई कोर्ट
एलजी कार्यालय सूत्रों ने कहा कि हाई कोर्ट मई 2022 से मुद्दे की निगरानी कर रहा है। फाइल 27 जून से सात दिसंबर 2022 तक पांच महीने से ज्यादा वक्त तक विकास मंत्री के कार्यालय में लंबित रही। सूत्रों ने दावा किया कि इसके बाद फाइल हाई कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले 14 दिसंबर को एलजी को भेजी गई। एलजी ने सीएम से ऐसी चिंताओं को दूर करने व मंत्रियों के समक्ष लंबित मामलों की प्रगति की समीक्षा करने की भी अपेक्षा की है।