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दिल्ली में आमने-सामने CM और LG: केजरीवाल चाहते हैं मुख्य सचिव का निलंबन, उपराज्यपाल सेवा विस्तार

दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को लेकर एक बार फिर से उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने आ गए हैं। उपराज्यपाल ने नरेश कुमार का सेवानिवृत्ति के बाद एक साल का सेवा विस्तार के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है। उधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नरेश कुमार का निलंबन चाहते हैं। उन्होंने मुख्य सचिव के विरुद्ध सतर्कता मंत्री आतिशी की रिपोर्ट एलजी को भेजी है

By V K ShuklaEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Wed, 15 Nov 2023 10:42 PM (IST)
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मुख्य सचिव को लेकर फिर दिल्ली में आमने सामने CM और LG
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को लेकर एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वी के सक्सेना आमने-सामने हैं। उपराज्यपाल ने नरेश कुमार का सेवानिवृत्ति के बाद एक साल का सेवा विस्तार के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है। वह एक साल के लिए नरेश कुमार काे सेवा विस्तार देना चाहते हैं।

केजरीवाल मुख्य सचिव का चाहते निलंबन

एलजी उन्हें उनके काम का पुरस्कार देना चाहते हैं। उधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नरेश कुमार का निलंबन चाहते हैं। उन्होंने मुख्य सचिव के विरुद्ध सतर्कता मंत्री आतिशी की रिपोर्ट एलजी को भेजी है, जिसमें उन्होंने बामनाेली जमीन अधिग्रहण मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर नरेश कुमार को तुरंत पद से हटाकर कर उन्हें निलंबित करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही उन्होंने मंत्री को रिपोर्ट सीबीआई और ईडी को भेजने का भी आदेश दिया हैं।

मुख्य सचिव बनने के बाद से चर्चा में रहे नरेश कुमार

यहां गौरतलब है कि मुख्य सचिव के पद पर आने के बाद से नरेश कुमार चर्चा का केंद्र बिन्दु रहे हैं। किसी न किसी कारण से वह चुनी हुई सरकार के निशाने पर भी रहे हैं। कई बार ऐसा समय आया है, जब चुनी हुई सरकार ने मुख्य सचिव के खिलाफ सार्वजनिक बयान तक दिया है। 2022 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव प्रचार के समय सरकार ने यह बयान तक दिया था कि मुख्य सचिव नरेश कुमार भाजपा को जितवाने के लिए काम कर रहे हैं।

30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे नरेश कुमार

मगर अब आप सरकार ने जो हमला किया है, यह उनकी सेवानिवृत्ति के समय हुआ है। यह समय वह है जब अगले कुछ दिनों में ही 30 नवंबर को नरेश कुमार मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके एक साल सेवा विस्तार की कोशिश की जा रही है, जिसे चुनी हुई सरकार केिसी भी स्थिति में नहीं चाहती है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसी रणनीति के तहत मुख्य सचिव को लेकर जमीन घोटाले का मुद्दा उठा है।

सरकार इसे किसी मुकाम तक ले जाना चाहती है। बामनोली जमीन अधिग्रहण मामले में आतिशी ने मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मंगलवार को 670 पेज की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को जाे रिपोर्ट सौंपी है, उसमें घुमा फिरा कर पूरा मामला मुख्य सचिव के इर्द गिर्द ही घूम रहा है, जबकि मुख्य सचिव ने आतिशी द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। उन्होंने रिपोर्ट पर सवाल उठाया है।

मुख्य सचिव की छवि खराब करने का आरोप

उन्होंने कहा है कि यह रिपोर्ट किन तथ्यों के आधार पर तय की गई है, इसे बताया जाना चाहिए। सतर्कता निदेशालय सतर्कता मंत्री से उस शिकायत को मांग चुका है जो मुख्य सचिव के खिलाफ की गई है। उधर अधिकारी कह रहे हैं कि यह सब कोशिश मुख्य सचिव की छवि खराब करने के लिए की जा रही है, जिससे उनका सेवाविस्तार न हो पाए।

उधर मुख्य सचिव काे सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य सचिव और जमीन मालिकों के ऐसे संबंध हैं, जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है। मुख्य सचिव का बेटा करण चौहान अनंत राज ग्रुप के सरीन के साथ व्यवसाय से जुड़ा है। जो जमीन मालिकों का दामाद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मुख्य सचिव नरेश कुमार और मंडलायुक्त अश्वनी कुमार के संदेश के घेरे में होने के बावजूद विजिलेंस रिपोर्ट में तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया गया। यह भी कहा गया कि लगता है कि मुख्य सचिव के बेटे करण चौहान के व्यवसाय को भी सरीन ने सपोर्ट और प्रमोट किया है।

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रिपोर्ट में किया गया ये जिक्र

रिपोर्ट के अनुसार, कथूरिया बंधुओं को 897 करोड़ का लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई, जबकि विजिलेंस की रिपोर्ट में लगभग 353 करोड़ रुपये का अनुमान था। वर्ष 2018 में जमीन के मुआवजा की कीमत तय हुई थी। फरवरी 2019 से लेकर जून 2022 के बीच तीन अलग-अलग डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने उसे नहीं बदला। नरेश कुमार के दिल्ली के मुख्य सचिव बनने के 40 दिन के अंदर ही हेमंत कुमार को दक्षिण पश्चिमी जिले का डीएम बनाया गया।

हेमंत कुमार ने डीएम बनने के एक साल के भीतर 2018 का मुआवजा 22 गुना बढ़ा दिया। उनके खिलाफ विजिलेंस इंक्वारी मुख्य सचिव ने खुद संज्ञान लेकर नहीं करवाई। हालांकि जब इस मुद्दे को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में उठाया गया, तो मंडलायुक्त और मुख्य सचिव के पास जांच के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

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