सिख विरोधी दंगे मामले में दिल्ली HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने को LG ने दी अनुमति, जानिए पूरा मामला
Delhi Sikh Riots उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में छह आरोपियों को बरी करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने को अनुमति दे दी है। मामले में लापरवाही बरतने के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग को फटकार भी लगाई है। यह मामला दंगों के दौरान हत्या के प्रयास लूटपाट और दंगे से संबंधित है
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में छह आरोपियों को बरी करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने को अनुमति दे दी है। मामले में लापरवाही बरतने के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग को फटकार भी लगाई है।
यह मामला उत्तर पश्चिम दिल्ली के सरस्वती विहार पुलिस स्टेशन (वर्तमान में सुभाष प्लेस) क्षेत्र में दंगों के दौरान हत्या के प्रयास, लूटपाट और दंगे से संबंधित है, जिसमें छह आरोपी हरिलाल, मंगल, धर्मपाल, आजाद, ओम प्रकाश और अब्दुल हबीब शामिल थे।
हाईकोर्ट ने खारिज की सरकार की अपील
उपराज्यपाल ने हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सरकार की अपील खारिज करने के गत 10 जुलाई को दिए आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी। आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि 28 मार्च 1995 के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 28 वर्षों की देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था और राज्य द्वारा उठाए गए आधार उचित नहीं थे।
एक और मामले में दी जा चुकी है अनुमति
इसी तरह के एक अन्य मामले में उपराज्यपाल द्वारा नांगलोई पुलिस स्टेशन में दर्ज एक अन्य सिख विरोधी दंगा मामले में 12 लोगों को बरी करने के खिलाफ शीर्ष कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
वर्तमान मामले में मुकदमे का पूरा घटनाक्रम देखने के बाद उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की मंजूरी दिसंबर 2020 में दी गई थी, लेकिन अपील दो वर्ष से अधिक की देरी के बाद 2023 में दायर की गई थी।
एलजी ने बताया गंभीर चिंता का विषय
सक्सेना ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि मानवता के खिलाफ अपराध के ऐसे मामलों को बहुत ही अनौपचारिकता, रुटीन तरीके तथा लापरवाही से निपटाया जाता है, जिससे अपील दायर करने में अधिक देरी होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में हुई अधिक देरी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर करने में हुई देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी की पहचान करने, जिम्मेदारी तय करने और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
उपराज्यपाल से एसएलपी दायर करने की मंजूरी मांगते समय यह बताया गया कि एस गुरलाड सिंह काहलों बनाम भारत संघ और अन्य मामले में दायर रिट याचिका (सीआरएल) नंबर 9/2016 पर शीर्ष अदालत ने 11 जनवरी 2018 को दिए आदेश में 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित 186 मामलों में आगे की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित करने का निर्देश दिया था। वर्तमान मामला इन 186 मामलों में से एक था।
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इस आदेश के अनुपालन में 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों की जांच के लिए दिनांक 9 फरवरी 2018 की अधिसूचना के तहत विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।जिसमें सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा और अभिषेक व आइपीएस शामिल थे। एसआईटी ने 15 अप्रैल 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि फैसले के तुरंत बाद अभियोजन पक्ष के अपील में जाने के लिए वर्तमान मामला पूरी तरह से उपयुक्त था।
एसआईटी ने आगे सिफारिश की थी देरी की माफी के आवेदन के साथ अपील दायर की जा सकती है। इस मामले में हाईकोर्ट में अपील दायर करने के लिए दिसंबर 2020 में उपराज्यपाल की मंजूरी के परिणामस्वरूप 2023 में अपील दायर की गई।