1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को नौकरी देकर उपराज्यपाल ने लौटाया आत्मसम्मान, बांटे नियुक्ति प्रस्ताव पत्र
एलजी वीके सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। तिलक विहार कॉलोनी में आयोजित कार्यक्रम में 47 पीड़ित परिवारों के सदस्यों को भर्ती योग्यता में छूट के बाद नौकरी दी गई। उपराज्यपाल ने संबंधित विभाग को 437 अन्य आवेदनों को नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया। इस कदम को पीड़ितों के लिए न्याय और सम्मान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों के लिए बसाई गई तिलक विहार स्थित कॉलोनी में बृहस्पतिवार को प्रदेश के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पहुंचे। यहां आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने पीड़ित परिवार के 47 सदस्यों को, भर्ती योग्यता में छूट देने के बाद नियुक्ति प्रस्ताव पत्र वितरित किए। इस दौरान उन्होंने संबंधित विभाग को 437 अन्य आवेदनों के सत्यापन को जल्द से जल्द पूरा कर उन्हें नियुक्ति प्रस्ताव पत्र देने का आदेश दिया।
उपराज्यपाल ने इस अवसर पर पर कहा कि पीड़ित परिवारों के लिए यह केवल नौकरी नहीं, बल्कि उनके जीवन में एक नई शुरुआत और आत्मसम्मान लौटाने का प्रतीक है। सरकारी उपेक्षा के कारण हुए 40 वर्षों के विलंब के बाद आज इन पीड़ितों को नियुक्ति प्रस्ताव पत्र प्रदान करना संतोषजनक रहा। उपराज्यपाल ने इस अवसर पर तिलक विहार कालोनी, जिसे दंगों के वजह से विधवा कॉलोनी भी कहा जाता है, के नाम को स्थानीय लोगों के इच्छानुसार बदलने की भी घोषणा की।
पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और करुणा भाव: LG सक्सेना
उन्होंने कहा कि इस वीभत्स घटना में अपने स्वजनों को खोने का दर्द कभी कम नहीं हो सकता, लेकिन पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और करुणा भाव से उन जख्मों पर मरहम जरूर लगाया जा सकता है। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विरेंद्र सचदेवा, पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत पूर्व विधायक मंजिंदर सिंह सिरसा, अरविंदर सिंह लवली, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुभाना, राजीव बब्बर सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित रहे।न्याय व सम्मान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम: सांसद कमलजीत
सांसद कमलजीत ने इस अवसर पर कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। यह कदम न सिर्फ पीड़ित परिवारों को न्याय व सम्मान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि यह पीड़ितों के जीवन में नवजीवन के साथ उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर लेकर जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा निरंतर प्रयास है कि उन परिवारों को स्थिरता और सम्मान मिले, जिन्होंने दंगों में असहनीय दुख व पीड़ा सही।
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