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Delhi Mayor Election: कब मिलेगा दिल्ली को मेयर? अब उपराज्यपाल के पाले में गेंद; सदन की बैठक की तय करेंगे तारीख

दिल्ली नगर निगम (MCD) की शुक्रवार को हुई सदन की पहली बैठक में मेयर का चुनाव नहीं हो पाया। आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा (BJP) के बीच सिविक सेंटर में हुई मारपीट और हाथापाई के कारण सदन को स्थगित करना पड़ा।

By GeetarjunEdited By: GeetarjunUpdated: Sat, 07 Jan 2023 08:44 AM (IST)
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अब उपराज्यपाल के पाले में गेंद, सदन की बैठक की तय करेंगे तारीख
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली नगर निगम (MCD) की शुक्रवार को हुई सदन की पहली बैठक में मेयर का चुनाव नहीं हो पाया। आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा (BJP) के बीच सिविक सेंटर में हुई मारपीट और हाथापाई के कारण सदन को स्थगित करना पड़ा। इस वजह से दिल्ली को मेयर मिलते रह गया।

बैठक की अगली तारीख एलजी करेंगे तय

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना अब सदन की बैठक की अगली तारीख तय करेंगे। इसके बाद ही चुनाव के बाद दिल्ली को मेयर मिल पाएगा। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने बताया कि 10 मनोनीत सदस्यों में से चार का शपथ ग्रहण पूरा हो गया है। अब सदन की अगली बैठक की तिथि एलजी तय करेंगे। तब तक विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार कार्य करते रहेंगे। हालांकि, चुनाव संपन्न होने तक पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ही बनी रहेंगी।

क्यों हुआ हंगामा

सिविक सेंटर में मेयर के चुनाव की प्रक्रिया सुबह साढ़े 11 बजे से शुरू हो गई थी। आप की तरफ से सदन में दल के नेता मुकेश गोयल ने पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा द्वारा मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने पर आपत्ति जताई। इसके बाद आप और भाजपा के पार्षद पीठासीन अधिकारी के आसन तक पहुंच गए। हंगामे के बीच चार मनोनीत सदस्यों विनोद सहरावत, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान और सुनीत चौहान ने शपथ ली।

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दोनों दलों के पार्षदों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर बाद धक्का-मुक्की शुरू हो गई और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई। एक आप पार्षद ने कुर्सी व मेज उठाकर भाजपा पार्षद को मारने की भी कोशिश की। आप का कहना है कि पहले निर्वाचित सदस्यों की शपथ दिलाई जानी चाहिए। आरोप लगाया कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाकर सदन में मतदान कराना चाहती है, और अपना वोट संख्या बढ़ाना चाहती है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मनोनीत सदस्यों को सदन में मतदान करने का अधिकार संविधान में नहीं दिया गया है। उपराज्यपाल को इन्हें मतदान का अधिकार दिलाने की असंवैधानिक कोशिश नहीं करनी चाहिए।

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क्या है नियम

दिल्ली नगर निगम के पूर्व मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता के अनुसार, दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन (डीएमसी) एक्ट के अनुच्छेद 32 के अनुसार, निर्वाचित और मनोनीत पार्षदों को निगम सदन में शपथ दिलाई जानी चाहिए। एक्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि किसे पहले शपथ दिलाई जाए। यह पीठासीन अधिकारी के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है कि वह किसे पहले और किसे बाद में शपथ दिलाते हैं। मनोनीत सदस्यों को भी निगम सदन में शपथ दिलाना अनिवार्य होता है। यदि वे शपथ नहीं लेते हैं तो वे वार्ड समिति के चुनाव में भी मतदान नहीं कर सकते हैं।

  • आपको बता दें कि 7 दिसंबर को एमसीडी चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे। आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें और बीजेपी ने 104 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस को 9, जबकि अन्य को 3 सीटें मिली थीं। बाद में मुंडका से निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल भाजपा में शामिल हो गए।
  • महापौर के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद, सात लोकसभा और दिल्ली के तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में आप के 13 और भाजपा के एक सदस्य को मनोनीत किया है।
  • महापौर चुनावों में कुल वोट 274 हैं। संख्या का खेल आप के पक्ष में है, जिसके पास भाजपा के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं। कांग्रेस के नौ पार्षदों के नौ वोट हैं जबकि दो निर्दलीय भी हैं।
  • हालांकि दिल्ली बीजेपी के मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर जीत हासिल करने की संभावना नहीं है, लेकिन वह महत्वपूर्ण स्थायी समिति के सदस्यों के तीन पदों को जीतने की कोशिश करेगी।
  • स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं, जिनमें से 12 जोन से और छह सदन से चुने जाते हैं।
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