Delhi Politics: पार्षद सरिता फोगाट ने छोड़ी भाजपा, मनीष सिसोदिया ने AAP में फिर कराई वापसी
मालवीय नगर से निगम पार्षद सरिता फोगाट ने भाजपा को झटका दे दिया है। उन्होंने फिर से आम आदमी पार्टी में वापसी कर ली है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने उन्हें आम आदमी पार्टी फिर से ज्वाइन कराई है। पार्षद सरिता फोगाट ने 25 सितंबर को भाजपा में शामिल हुई थीं। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मालवीय नगर से निगम पार्षद सरिता फोगाट ने सोमवार को भाजपा छोड़कर वापस आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि सरिता फोगाट पार्टी की स्थापना के समय से आप की कर्मठ कार्यकर्ता रही हैं।
उन्होंने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने के संकल्प के साथ काम करना शुरू कर दिया है। बता दें कि बीते 25 सितंबर को तीन आप पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा प्रदेश कार्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की मौजूदगी में पार्षदों ने मिस काल देकर भाजपा की सदस्यता ली थी।
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क्या सभी सदस्यों के चुनाव के बाद ही हो सकता है स्थायी समिति का संचालन
एमसीडी स्थायी समिति के गठन का निर्देश देने की मांग वाली राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या कमेटी के संचालन के लिए सभी सदस्यों का होना अनिवार्य है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जानाल की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को अगली सुनवाई पर यह बताने को कहा कि क्या वर्तमान में मौजूद 17 सदस्यों के आधार पर समिति का संचालन हो सकता है या फिर सारे सदस्यों का चुनाव होने के बाद ही समिति गठित मानी जाएगी।
नौ दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
मामले में अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी। एनबीसीसी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता नगरकट्टी कार्तिक उदय ने बताया कि अदालत ने इन तथ्यों को स्पष्ट करने को कहा है। पिछली सुनवाई पर एमसीडी ने अदालत के समक्ष कहा था कि बोर्ड बैठक के बाद स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया तेजी से की जाएगी। एमसीडी ने यह भी जानकारी दी थी कि एमसीडी स्थायी समिति की एक सदस्य हाल ही में लोस सदस्य चुनी गई हैं।
पार्षद व स्थायी समिति की सदस्यता से उनके इस्तीफे से रिक्त पद के चुनाव के बिना स्थायी समिति के चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन का चुनाव नहीं हो सकता है। एनबीसीसी ने याचिका में कहा है कि कई प्रोजेक्ट का ले-आउट प्लान एक साल से अधिक समय से स्वीकृत नहीं हो सका है।
स्थायी समिति का गठन करने का निर्देश देने की मांग करते हुए एनबीसीसी ने कहा कि समिति को ले-आउट प्लान के संबंध में दाखिल आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया जाए। स्वीकृत नहीं होने से सभी प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी और याचिकाकर्ता के पास अदालत के समक्ष जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचेगा।