Delhi MCD Election 2022: यमुनापार ने फिर बचाई भाजपा की लाज, इस बार 61 वार्डों में से 35 पर खिला कमल
राजधानी के निगम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन इसके बाद भी यमुनापार ने इसकी लाज बचा ली है। यहां भाजपा को 61 में से 35 सीटों पर जीत मिली है। पूर्वी निगम अस्तित्व में होता तो इसकी सत्ता भाजपा के पास ही रहती।
By Swadesh kumarEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 08 Dec 2022 02:53 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राजधानी के निगम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन इसके बाद भी यमुनापार ने इसकी लाज बचा ली है। यहां भाजपा को 61 में से 35 सीटों पर जीत मिली है। अगर पूर्वी निगम अस्तित्व में होता तो इसकी सत्ता भाजपा के पास ही रहती। आप को विपक्ष में ही बैठना पड़ता। ढाई साल पहले विधानसभा चुनाव में भी यमुनापार ने ही भाजपा के लिए संजीवनी का काम किया था। तब पार्टी को पूरी दिल्ली में कुल आठ सीटें मिली थीं। इनमें छह यमुनापार से ही थीं।
पिछली बार 46 वार्डों में थी भाजपा
हालांकि इस बार के नतीजों में भाजपा को नुकसान हुआ है। पिछली बार 64 में से 46 सीटों पर कमल खिला था। इसकी वजह से पूरे कार्यकाल में सभी समितियों के साथ महत्वपूर्ण पदों पर भाजपा के नेता ही काबिज रहे। इस बार पूर्वी निगम भंग हो गया है। लेकिन शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी जोन में भाजपा अब भी काबिज हो सकती है। दक्षिणी जोन में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत है। कुल 28 में से यहां 18 पार्षद भाजपा के चुने गए हैं। आठ पार्षद आप और एक कांग्रेस के होंगे। लेकिन उत्तरी जोन में भाजपा बहुमत से एक कदम दूर रह गई। यहां 34 में से भाजपा के 17 सीटें भाजपा के पास पहुंची हैं। 12 पर झाड़ू चली है। चार पर कांग्रेस के पार्षद चुने गए हैं। एक पर निर्दलीय ने बाजी मारी है। यहां वार्ड समिति के चुनाव में क्रास वोटिंग या किसी के अनुपस्थित रहने पर भाजपा का प्रत्याशी जीत सकता है।
भाजपा से नाराजगी कम थी
आप, कांग्रेस और निर्दलीय एक साथ आते हैं तो उनके लिए भी यही एकमात्र रास्ता बचता है। पूर्व महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि 15 साल से भाजपा निगम में काबिज थी। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद यमुनापार ने साथ देकर यह बता दिया है कि यहां नाराजगी कम थी। लोगों को पूर्वी निगम का काम पसंद आ रहा था। घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना की लाेग सराहना कर रहे थे। आप के पार्षद इस योजना के विरोध में थे। लेकिन इससे सफाई व्यवस्था बेहतर हुई। गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई कम करने के ईमानदार प्रयासों को भी जनता ने पसंद किया। इसके बाद भी कहना चाहता हूं कि हार के कारणों पर मंथन होना चाहिए।यहां भाजपा का हुआ सूपड़ा साफ
गोकलपुरी में पार्टी का सूपड़ा साफ गोकलपुरी विधानसभा में निगम के चार वार्ड हैं। इन चारों पर पिछले चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन इस बार यहां सूपड़ा साफ हो गया। तीन निवर्तमान पार्षदों को पार्टी ने इस बार भी मैदान में उतारा था। सभी चारों खाने चित्त हो गए। पिछले दो विधानसभा चुनाव से यह सीट आप के पास ही रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि मौजूदा पार्षदों के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश था। इसका खामियाजा सभी सीटों पर भुगतना पड़ा। आप विधायक चौधरी सुरेंद्र ने चारों सीटों जीतने पर अपने प्रत्याशियों को बधाई दी और जनता का आभार जताया। उन्होंने कहा कि गोकलपुरी की जनता भाजपा के पार्षदों से त्रस्त थी। अब सभी पार्षदों के साथ मिलकर वह क्षेत्र का विकास करेंगे।
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