Delhi MCD Election: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी ने भांजे की पत्नी को दिया MCD चुनाव में टिकट, कई नेता नाराज
Delhi MCD Election 2022 अनेक सीटों पर कोई उम्मीदवार ही नहीं था चुनाव लड़ने को तैयार मजबूरी में की गई खानापूर्ति-वरिष्ठ नेताओं कार्यकर्ताओं की अनदेखी के साथ प्रदेश अध्यक्ष पर अपने भांजे की पत्नी को भी टिकट देने का आरोप\B\B\Bसंजीव गुप्ता नई दिल्ली\B
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। Delhi MCD Election कांग्रेस के टिकट वितरण पर तो उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पूर्व ही अंगुलियां उठ रही थीं, सूची जारी होने के बाद असंतोष के स्वर और मुखर हो गए। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी पर वरिष्ठ नेताओं एवं पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी के साथ साथ अपने भांजे की पत्नी को भी बिना योग्यता टिकट देने का आरोप लग रहा है।
कांग्रेस पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहली बार ऐसा हुआ है कि अनेकों सीटों पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार सामने नहीं आए। यही वजह रही कि पार्टी की सूची नामांकन खत्म होने के एक दिन पहले ही जारी हो सकी। अंतिम समय तक जोड़तोड़ का गणित बैठाया जाता रहा।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अविनाश पांडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी ने तो फिर भी वरिष्ठ नेताओं एवं पूर्व पार्टी पदाधिकारियों से सुझाव लिए, लेकिन जब सूची जारी की गई तो उसमें उन सुझावों का भी समावेश नहीं था। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अनेक सीटों पर मजबूरी में ऐसे उम्मीदवार खड़े कर दिए गए हैं, जिनकी क्षेत्र में छवि भी बहुत खराब है।
प्रदेश कांग्रेस के आरटीआइ कार्डीनेटर सुंदर बिधूड़ी ने बताया कि तुगलकाबाद वार्ड नंबर 178 से प्रदेश अध्यक्ष के भांजे अमित बिधूड़ी की पत्नी पूजा को टिकट दिया गया है जबकि इनकी रिहायश फरीदाबाद में है। मजेदार बात यह भी अमित बिधूड़ी प्रदेश युवा कांग्रेस का चुनाव तक हार चुके हैं।
सुंदर बिधूड़ी का कहना है कि जो उम्मीदवार पार्टी के वोट भी पूरे नहीं पा सका, वह बाहरी होने के चलते क्षेत्र के निवासियों के वोट कैसे हासिल कर पाएगा। पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष चतर सिंह ने प्रत्याशियों के चयन में सभी वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन किसी बैठक का हिस्सा नहीं बने। उन्होंने कहा कि टिकटों के चयन में कोई पारदर्शी प्रक्रिया तक नहीं अपनाई गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह लिस्ट भी यूं तो शनिवार अल सुबह तक फाइनल हो गई थी, लेकिन घोषित रविवार देर शाम तक ही हो पाई। कारण फिर से वही, प्रदेश नेतृत्व और अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच बेहतर तालमेल ना होना। इसी कारण स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों को राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने का समय लेना पड़ा था।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की इस हकीकत ने कहीं न कहीं ''सूत न कपास, जुलाहों में लठ्ठम लठ्ठा'' कहावत को भी चरितार्थ कर दिया। मतलब, मुकाबले में भाजपा और आम आदमी पार्टी के आगे कांग्रेस कहीं ठहर नहीं पा रही, बावजूद इसके उम्मीदवारों की लिस्ट इन दोनों पार्टियों के भी बाद में जारी की गई। नाम तय करने में जिस हद तक गुटबाजी रही, वह इस बार भी पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रही।