Delhi MCD: स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव है मेयर से भी महत्वपूर्ण, जानिए किस लिए हाथापाई तक पहुंची नौबत?
एमसीडी सदन में स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के दौरान जमकर हंगामा हुआ। सदन में हुए जूतम-पैजार को लेकर सवाल उठता है कि स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों था? आखिर सदन में इतनी जूतम-पैजार क्यों हुई?
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली के एमसीडी सदन में बुधवार को मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में हंगामा नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही स्थायी समिति के सदस्यों को चुने जाने की शुरुआत हुई, वैसे ही हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के चलते सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा। हालत हाथापाई तक पहुंच गए। पार्षदों ने एक दूसरे पर जूते, चप्पल और बोतलें फेंकी।
सदन में हुए जूतम-पैजार को लेकर सवाल उठता है कि स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों था? आखिर क्यों दोनों ही पार्टी स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है?
क्यों महत्वपूर्ण है स्थायी समिति का चुनाव?
दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर के पास उतनी शक्तियां नहीं होती, जितनी स्थायी समिति के पास होती है। स्थायी समिति नगर निगम के अहम फैसले लेने वाली संस्था है।
दरअसल, स्थायी समिति ही निगम की नीति और वित्तीय फैसलों पर कंट्रोल रखती है और स्थायी समिति का अध्यक्ष का पद ही नगर निगम का सबसे शक्तिशाली पद होता है। इसलिए समिति के अध्यक्ष पद पर दोनों ही पार्टी अपना कब्जा जमाना चाहती है। अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए पार्टियों को पहले समिति के सदस्यों का चुनाव जीतना होगा।
किसका पलड़ा भारी?
समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं। इनमें से 6 सदस्यों को सदन में चुना जाता है। बुधवार को इन्हीं 6 सदस्यों का चुनाव होना था। 6 में से आप ने 4 सीटों पर प्रत्याशी उतारे है। वहीं, भाजपा ने 3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे है। भाजपा चाहती है की 6 में से 3 सीटों पर कब्जा कर लिया जाए। इससे स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए दावा ठोका जा सकता है।
बाकी के 12 सदस्यों को वॉर्ड समिति चुनती है। बता दें कि एमसीडी को 12 जोन में भी बांटा जाता है और क्षेत्र में एक वॉर्ड समिति होती है। इस वॉर्ड समिति में सभी पार्षद शामिल होते हैं। इन 12 सदस्यों को चुनने में मनोनित सदस्य भी अपनी भूमिका निभाएंगे।