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Delhi MCD Election Result: सत्ता विरोधी लहर के चक्रव्यूह में फंसी BJP, 15 साल पुराना दुर्ग बचाने में हुई असफल

सत्ता विरोधी लहर के चक्रव्यूह में फंसी BJP नगर निगम का दुर्ग बचाने में फेल हो गई है। पिछले 15 सालों से BJP निगम में शासन कर रही थी। पार्टी के नेताओं को चौथी बार भी सत्ता मिलने की उम्मीद थी लेकिन असफलता हाथ लगी।

By Santosh Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Wed, 07 Dec 2022 05:51 PM (IST)
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चुनाव में गूंजा स्वच्छता का मुद्दा। फोटो जागरण।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सत्ता विरोधी लहर के चक्रव्यूह में फंसी भाजपा (BJP) नगर निगम का दुर्ग बचाने में असफल रही है। पिछले 15 वर्षों से पार्टी का निगम में शासन था। पार्टी के नेताओं को चौथी बार भी सत्ता मिलने की उम्मीद थी, इसके लिए पूरा जोर लगाया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्रियों के साथ अन्य बड़े नेता चुनाव प्रचार में उतरे लेकिन सत्ता विरोधी लहर से पार्टी को नहीं उबार सके।

पार्टी का मत प्रतिशत से पिछले चुनाव की तुलना में लगभग तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, लेकिन सीटों में भारी नुकसान हुआ। मात्र 104 सीटों से संतोष करना पड़ा। पिछले निगम चुनाव की तुलना में उसे 59 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

चुनाव में गूंजा स्वच्छता का मुद्दा

भाजपा पार्षदों के कामकाज के तरीके और सफाई व्यवस्था को लेकर पिछले चुनाव से ही दिल्लीवासियों में नाराजगी थी। जनता की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने वर्ष 2017 के चुनाव में सभी पार्षदों के टिकट काट दिए थे। इस रणनीति से पार्टी सत्ता विरोधी लहर को मात देने में सफल रही। इस बार भी अधिकांश पार्षदों के टिकट काटे गए। मात्र 41 पार्षद टिकट प्राप्त कर सके थे।

पार्टी को उम्मीद थी कि नगर निगमों के एकीकरण, परिसीमन, नए चेहरे उतारने और आक्रामक चुनाव प्रचार के सहारे वह सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए सिविक सेंटर पर एक बार फिर से केसरिया झंडा फहराने में सफल होगी। लेकिन उसका यह सपना टूट गया है।

पूर्व पार्षदों की कार्य प्रणाली से हुआ भाजपा को नुकसान

पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व पार्षदों की कार्य प्रणाली व बदहाल सफाई व्यवस्था से हुई है। जनता से पार्षदों के जुड़ाव नहीं रहने की शिकायत प्रदेश नेतृत्व को मिल रही थी, लेकिन समय रहते उस पर ध्यान नहीं दिया गया। सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पहले पार्टी की ओर से स्वच्छता अभियान चलाने के साथ ही पार्षदों को रैंकिंग देने का कार्यक्रम चलाया जाता था जिससे स्थिति कुछ सुधरती थी और पार्टी को लेकर लोगों में अच्छी राय बनती थी। बावजूद इसके पिछले लगभग दो वर्षों से यह काम भी नहीं हो रहा था।

वहीं, मई से निगम सरकारी अधिकारियों के हवाले होने के बाद सफाई व्यवस्था की स्थिति और खराब हो गई। आम आदमी पार्टी (आप) ने सफाई व्यवस्था विशेषकर राजधानी में खड़े कूड़े के पहाड़ को मुद्दा बनाने में सफल रही।

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पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा का बढ़ा मत प्रतिशत

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि 15 वर्षों के शासन से सत्ता विरोधी लहर होना स्वाभाविक है, लेकिन चुनाव परिणाम को देखकर यह नहीं लगता है कि मतदाताओं में पार्टी के प्रति बहुत ज्यादा नाराजगी थी। पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा का मत प्रतिशत 36.08 प्रतिशत से बढ़कर 39.09 प्रतिशत पहुंच गई है। शायद जनता तक पार्टी अपनी बात सही तरह से नहीं पहुंचा सकी है।

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