Delhi MCD News: जिस पार्टी का बनेगा चेयरमैन, सत्ता होने के बाद स्थायी समिति में अल्पमत में आ जाएगा दल
दिल्ली नगर निगम (MCD) में स्थायी समिति के गठन से पहले ही पार्षद कमलजीत सहरावत के इस्तीफे ने नया संकट खड़ा कर दिया है। 26 सितंबर को होने वाले निगम सदन की बैठक में रिक्त पद के लिए चुनाव होगा। इस चुनाव में AAP और BJP के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। अगर AAP यह सीट जीत जाती है तो स्थायी समिति में गतिरोध और बढ़ जाएगा।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। स्थायी समिति का गठन न होने से पहले से ही दिल्ली के लोग विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद वार्ड कमेटियों का गठन हुआ और स्थायी समिति के सदस्यों का निर्वाचन भी हो पाया।
अब पश्चिमी दिल्ली से सांसद बनीं कमलजीत सहरावत के निगम पार्षद और स्थायी समिति के सदस्य पद से इस्तीफा देने के बाद रिक्त पद का चुनाव 26 सितंबर को निगम सदन की बैठक में होना है। फिलहाल सदन में आप के पास पार्षदों की संख्या 249 में 127 हैं और भाजपा के पास 112 ही हैं।
AAP के जीतने से बढ़ जाएगा गतिरोध
ऐसे में आंकड़ों को देखे तो रिक्त पद पर आप की जीतने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में आप के यह पद जीतने से स्थायी समिति में और गतिरोध बढ़ जाएगा। इससे मुद्दों के समाधान के बजाय और विवाद बढ़ जाएंगे।उल्लेखनीय है कि स्थायी समिति के 18 सदस्यों में नौ सदस्य भाजपा जीत चुकी है जबकि आठ सदस्य आप जीत गई है। अब एक रिक्त पद पर आप जीत जाती है तो भाजपा और आप के सदस्यों की संख्या बराबर हो जाएगी।
पर्ची के माध्यम से होगा चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव
ऐसे में जब चेयरमैन का चुनाव होगा तो बराबर सदस्य होने की वजह से पर्ची के माध्यम से चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव होगा। इस स्थित में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन अलग-अलग दल से भी हो सकते हैं।चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव का हल तो भाजपा और आप के बराबर सदस्य होने से हो जाएगा, लेकिन असली समस्या बाद में स्थायी समिति में प्रस्ताव पास करने में आएगी। क्योंकि निगम के प्रक्रिया व संचालन के अनुच्छेद 64 में स्पष्ट हैं कि प्रत्येक प्रस्ताव बहुमत से पास होगा।
ऐसे में जिस भी पार्टी का चेयरमैन होगा, लेकिन प्रस्ताव पारित करने की शक्ति विपक्ष के पास होगी। क्योंकि नौ-नौ सदस्य दोनों दलों के पास होने से चेयरमैन जिस पार्टी का होगा उसको प्रस्ताव पर तभी वोट कर सकता है जब समिति में बैठे पक्ष व विपक्ष के सदस्यों की संख्या बराबर हो। अगर, इस स्थिति में जिस पार्टी का पार्षद स्थायी समिति का चेयरमैन बन जाएगा, वह समिति में अल्पमत में आ जाएगी और प्रस्ताव पास विपक्ष की संख्या के आधार पर होगा।
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